टीएमसी में नहीं हो रहे पूरे फ्री टेस्ट

By: Mar 29th, 2024 12:56 am

बाहर जाकर महंगे टेस्ट करवाने को मजबूर मरीज, नहीं मिल रही राहत

हैड क्वार्टर ब्यूरो – टीएमसी
डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में मुफ्त वाले पूरे टेस्ट नहीं हो रहे हैं। एक और जहां सरकारी अस्पतालों में मुफ्त के इलाज का अलाप बड़े जोर-शोर से किया जाता है, लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ और बयां कर रही है, क्योंकि सभी मुफ्त के टेस्ट नहीं हो रहे हैं। मरीजों को कुछ टेस्टों को कैश पेमेंट देकर बाहर की प्राइवेट लैब्स में करवाना पड़ रहा हैं। सीबीसी, टी 3, टी 4, टी 5 एच, एलएच, एसएफएच, प्रोलेटिन, सी ए-125, फिरिटिन, पीएसए, एंटी टीपीओ, पीटीआईएनआर जैसे कीमती टेस्ट मरीजों को बाहर करवाने को मजबूर होना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा मुश्किल बुजुर्ग, महिला व अपंग मरीजों को झेलनी पड़ रही है। जाहिर सी बात है कि जब मरीज उपचार के लिए अस्पताल आता है, तो उसके कुछ न कुछ टेस्ट अवश्य लिखे जाते हैं, लेकिन जब एमर्जेंसी में रात को आए मरीज को यह कहा जाता है कि यह टेस्ट बाहर से करवाकर लाने को कहा जाता है। उस समय मरीज व उसके साथ आए तीमारदारों की सांसें फल जाती हैं कि अब रात को इन टेस्टों को अकेले बाहर से कैसे करवाएं। कुछ टेस्टों की कीमत तो हजारों में होती हैं, जिन्हें गरीब मरीजों को देना बहुत मुश्किल होता है और मरीज सोचने पर मजबूर हो जाता है कि यह मुफ्त की सुविधा है या आफत ।

टांडा पर निर्भर है आधे हिमाचल के मरीज

प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल में छह जिलों चंबा, मंडी, ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और 15 लाख की आबादी वाले सबसे बड़े जिले कांगड़ा के मरीज हजारों की संख्या में यहां इलाज करवाने के लिए पहुंचते है। सरकारें मुफ्त के इलाज का अलाप बार-बार लोगों को महसूस करवाती रहती हैं। जैसे की मरीज का एक रुपया भी खर्च नहीं हो रहा हो, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। जैसे सीटी स्कैन को कहा जाता है कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में होता है, लेकिन इसके साथ इंजेक्शन व ड्रिप वायर के लिए मरीज को अलग से पैसे-पैसे खर्च करने पड़ते हैं, इसके बारे में कोई भी कुछ नहीं बोलता है।

अस्पताल में पूरी दवाइयां नहीं मिलती मुफ्त
बात अगर दवाइयों की करें तो पूरी दवाइयां मुफ्त में नहीं मिलती हैं और मरीजों को हजारों खर्च कर दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। जब सरकार ने मुफ्त के टेस्टों का पैनल बनाया है, तो फिर पूरे टेस्ट क्यों नहीं किए जाते हैं यह चिंतनीय व पूर्ण किए जाने योग्य तथ्य हैं, जिनके बारे गंभीर विचार किया जाना चाहिए।


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