होली उत्सव सुजानपुर

By: Mar 23rd, 2024 1:43 am

होली हमारे देश का प्रमुख त्योहार है। हिमाचल प्रदेश में होली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर टीहरा का प्रसिद्ध राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव 23 से 26 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। सुजानपुर टीहरा जिला हमीरपुर का सबसे सुंदर एवं आकर्षक स्थान है। इस नगर की स्थापना करने का काम 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने शुरू किया था और इसको पूरा करने का श्रेय उनके पोते राजा संसार चंद को जाता है। कलाप्रेमी राजा संसार चंद ने इस नगर का निर्माण कलात्मक ढंग से करवाया। ब्यास नदी के बाएं तट पर स्थित नगर की सुंदरता को देखते हुए राजा संसार चंद ने इस नगर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया था। सुजानपुर बस स्टैंड से लगभग 3 किमी.दूर एक ऊंची पहाड़ी पर टीहरा नामक जगह पर राजा का किला है। इस किले के प्रवेश द्वार पर दोनों ओर बैठे हुए हाथियों की कलाकृतियां बनी हुई हैं और बड़े आकार की दो खिड़कियों से ब्यास नदी को देखने से मन प्रफुल्लित हो जाता है। राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीहरा में अनेक भव्य भवनों एवं मंदिरों का निर्माण करवाया। उनके शासन काल में कांगड़ा चित्रकला काफी फली फूली। यहां के सुंदर मंदिरों की दीवारों पर कांगड़ा कलम के मनोहारी चित्र आज भी देखने को मिलते हैं। रामायण, महाभारत तथा भागवत पुराण के चित्र राजा संसार चंद के दरबारी कलाकारों द्वारा चित्रित किए गए हैं।

नर्वदेश्वर मंदिर इस बेहतरीन चित्रकला का साक्षत गवाह है। मंदिर के चारों कोनो पर सूर्य, गणेश, दुर्गा तथा लक्ष्मी नारायण के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। मैदान के एक कोने में राजा संसार चंद ने शिखर शैली में मुरली मनोहर मंदिर बनवाया। होली मेले से मुरली मनोहर मंदिर का बहुत गहरा नाता है। इस मंदिर में राजा-रानी स्वयं पूजा किया करते थे। इस मंदिर के दक्षिण में कटोच वंश की कुलदेवी चामुंडा देवी का मंदिर है। राजा संसार चंद ने होली के रंगीन पर्व को ब्रज होली की तरह लोकोत्सव का स्वरूप प्रदान किया था। होली वाले दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर सभी पुरानी दुश्मनियां खत्म कर देते हैं, होली वाले दिन चाहकर भी किसी से कोई मनमुटाव नहीं रखा जाता। सुजानपुर के होली मेले का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। कटोच वंश के राजा संसार चंद ने सुजानपुर के चौगान में 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राजमहल में तैयार खास तरह के गुलाल से तिलक होली खेली थी। सुजानपुर में ऐतिहासिक मुरली मनोहर मंदिर हिमाचल के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव का आगाज होता है। मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण ने उल्टी दिशा में मुरली पकड़ी है। मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है कि भक्तजन यहां आकर भक्ति में लीन हो जाते हैं। हर हिमाचली को प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देना चाहिए।


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