दहेज की कुप्रथा का अंत कैसे होगा..
दहेज का मतलब होता है बेटी को शादी के समय अपनी खुशी से कोई उपहार देना। भारत में यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। लेकिन आधुनिक और भौतिकवाद के समय में आज कुछ लालची लोगों ने इसे कुप्रथा बना दिया है। हमारे देश में दहेज कुप्रथा अभी भी पैर पसारे हुए है। हिमाचल प्रदेश में भी इस कुप्रथा का चलन कोई कम नहीं है। यहां भी दहेज लेने-देने की रूढि़वादी परंपरा गरीबों के लिए अभिशाप बनी हुई है।
दहेज के बहुत से रूप हैं, सोना, चांदी, गाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, और भी न जाने क्या कुछ। शादी के समय वधू पक्ष की तरफ से वर पक्ष के रिश्तेदारों को कपड़े, कंबल आदि सामान देने की रूढि़वादी रीत चली हुई है। वर पक्ष जब वधू पक्ष के घर पर बारात लेकर पहुंचते हैं तब मिलनी कराने के नाम पर भी दहेज दी जाती है। इस तरह की कुप्रथा पर रोक लगनी चाहिए।
-राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा
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