मैं निठल्ला नहीं बैठा हूं…

By: Mar 16th, 2024 12:05 am

देखिए जनाब! मुझ पर आप लाख तरह के आरोप लगा सकते हैं, लेकिन यह आरोप बिल्कुल नहीं लगा सकते कि मैं कुछ कर्ता-धर्ता नहीं हूं और निठल्ला बैठा सरकार की सब्सिडी खाता रहता हूं। ऐसा आरोप मैं बिल्कुल नहीं सुन सकता। पचास-साठ लोग एक साथ मिलकर कहें तो भी नहीं सुन सकता। पहली बात तो यह है कि मेरे सारे खाते सील हैं। उनमें सब्सिडी आ ही नहीं सकती। दूसरा, मेरे पास सब्सिडी खाने की फुर्सत ही नहीं है। मैं दिन-रात व्यस्त ही बहुत रहता हूं और ऊपर से आप यह तोहमत लगा रहे हैं कि मैं निठल्ले बैठा रहता हूं। ऐसा भला हो भी कैसे सकता है? जिस तरह देश आजाद होने के बाद से लीडर लोग निठल्ले नहीं बैठे हैं, धर्म के ठेकेदार निठल्ले नहीं बैठे हैं, कबूतरबाज निठल्ले नहीं बैठे हैं, जमाखोर निठल्ले नहीं बैठे हैं, कुछ न कुछ कर ही रहे हैं, उसी तरह मैं भी निठल्ले थोड़ी बैठा हूं। कोई शक है तो मेरी आउटपुट देख लो। जब से इस दुनिया में आया हूं, कुछ न कुछ कर ही रहा हूं। चाहो तो थानों का रिकॉर्ड चेक कर लो। विजिलेंस वालों से पूछ लो। गुंडों, बाहुबलियों से पुष्टि करवा लो। छत्तीस सौ मामले मेरे खिलाफ चल रहे हैं। पचासों एफआईआर दर्ज हैं। दर्जनों घोटाले किए हैं। छेडख़ानी के मामले अलग से हैं। यहां तक कि सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने में भी कहीं कोई कसर बाकी नहीं रखी। आम आदमी से पूछ कर देख लो। वह ही आपको बता देगा कि हमने डंके की चोट पर फलां फलां की जमीन पर अवैध कब्जे कर रखे हैं और फलां फलां को झूठे मामलों में अंदर करवा रखा है। इतने सारे काम निठल्ले बैठकर थोड़ी हो सकते हैं। कमाल है।

फिर भी आप मुझ पर शक कर रहे हैं कि मैं निठल्ला बैठा हूं। कुछ कर नहीं रहा। क्या जो मैंने अब तक किया, वह किसी काम की श्रेणी में नहीं आता? क्या निठल्ला आदमी इतने काम कर सकता है? क्या पुलिस और लीडरों से सेटिंग निठल्ले बैठे हो जाती है! अगर पुलिस और लीडरों को कोई काम नहीं है तो इसका मतलब यह थोड़ी है कि मुझे भी कोई काम नहीं है! अपनी फैक्टरी में जो नकली खाद तैयार करता हूं, क्या वह कोई काम नहीं है? अपने बेटे के नाम पर चली दूसरी फैक्टरी में जो नकली दवाई तैयार करता हूं, तो क्या वह कोई काम नहीं है? क्या दोनों फैक्टरियां ऐसे ही चल रही हैं? अगर मैं निठल्ला होता तो घर में इतने नौकर चाकर कहां से होते? पत्नी की उंगलियों में इतनी रत्नजडि़त अंगूठियां कहां से आती! बाहुबली मेरे अंग संग क्यों रहते? उनके खर्चे मैं कहां से पूरे करता! विदेशी बैंकों में मेरे लॉकर कहां से होते? होटलों और क्लबों में जाकर इंजॉय कैसे करता? देसी और विदेशी सुंदरियां मेरी संगत क्यों करती? अधिकारी लोग मेरे घर में महंगे महंगे गिफ्ट लेकर क्यों आते! इतने सारे काम मैंने शुरू कर रखे हैं कि मैं निठल्ला बैठ ही नहीं सकता। अगर बैठ गया तो विरोधी कल को मेरे यहां रेड करवा देंगे। मुझे ऐसी असंवैधानिक चीजों से बहुत डर लगता है। मैं इनसे बचने की योजनाएं हर वक्त बनाता रहता हूं। निठल्ला तो बिल्कुल नहीं बैठता। लेकिन मेरे पास तो गप्पें मारने की भी फुर्सत नहीं है। इतने लोग सलाह लेने आते हैं कि कोरी गप्प मार कर अपना कीमती समय बर्बाद करने का टाइम ही नहीं मिलता। इतना बिजी हूं कि मुझे तो भगवान का नाम लेने का भी टाइम नहीं मिलता। सुबह उठते ही भगवान से क्षमा याचना करके कह देता हूं कि मेरी व्यस्तताओं को समझें और फिजूल में बुरा न मानें। भगवान को भी मालूम है कि मैं कभी निठल्ला नहीं बैठता। देश हित में कुछ न कुछ करके अपना हित साधता ही रहता हूं। कोई और काम न हो तो समाज सेवा कर लेता हूं। क्या समाज सेवा निठल्ले आदमियों के बस की बात है? फिर भी आपको शक है तो एक बात बताओ। अगर मैं निठल्ला बैठा हूं तो आपकी जड़ों में म_ा कौन डाल रहा है?

गुरमीत बेदी

साहित्यकार


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