प्रकृति के प्रति बढ़ाएं अपनी संवेदनशीलता

By: Mar 23rd, 2024 12:57 am

डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में वानिकी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

निजी संवाददाता-नौणी
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और हिमालय पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (हेस्को) के संस्थापक डा. अनिल प्रकाश जोशी ने युवाओं, विशेषकर कृषि और वानिकी विषयों के छात्रों के लिए, संरक्षण के लिए प्रकृति विज्ञान को समझने पर जोर दिया। डा. जोशी यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में विश्व वानिकी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर डा. जोशी ने वनों और मानव अस्तित्व के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर प्रकाश डाला और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने उन प्रथाओं में बदलाव की वकालत की जो पर्यावरण के लिए हानिकारक रही हैं। पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित डा. जोशी ने जलवायु वानिकी में सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने पश्चिमी प्रथाओं को आंख बंद करके अपनाने के प्रति आगाह करते हुए स्वदेशी संरक्षण विधियों और आधुनिक दृष्टिकोणों के बीच संतुलन का आह्वान किया। कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने छोटे किसानों को समर्थन देने, पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी उपज के लिए स्थानीय बाजारों को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए डा. जोशी और हेस्को की सराहना की।

भारतीय संस्कृति में स्थानीय त्योहारों और स्वदेशी प्रथाओं में सतत विकास लक्ष्यों, जिन्हें आज के वैश्विक संदर्भ में महत्व दिया जा रहा है, को ध्यान में रखा जाता रहा है। इस अवसर पर प्रो. चंदेल ने विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न वानिकी और पर्यावरण संरक्षण पहल पर हेस्को के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। डा. ठाकुर ने बताया कि हर साल 10 मिलियन हेक्टेयर से अधिक जंगल काटे जाते हैं लेकिन इसका केवल एक छोटा प्रतिशत ही वापस उगाया जा रहा है। अनुसंधान निदेशक डा. संजीव चौहान ने वनों के वर्तमान महत्व के बारे में जानकारी प्रदान की और बताया कि वे सतत विकास सुनिश्चित करने के जंगल क्यों महत्वपूर्ण हैं। रिमोट सेंसिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वन जैव प्रौद्योगिकी जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के दायरे और संरक्षण प्रयासों में युवाओं की भूमिका पर भी चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में कविताओं, गीतों और भाषणों के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्रों ने हमारे जीवन में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ-साथ दोनों कालेजों के छात्रों ने भाग लिया। डा. जोशी ने विश्वविद्यालय में की जा रही शोध गतिविधियों के बारे में जानने के लिए विश्वविद्यालय के फार्मों का भी दौरा किया।


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