भारत में बढ़े वेतन और रोजगार के मौके

हम उम्मीद करें कि भारत की नई पीढ़ी अपने डिजिटल कौशल और अपनी प्रतिभा से रोजगार और स्वरोजगार के मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए आगामी तीन-चार वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगी…

इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक और रोजगार रिपोर्टों में यह कहा जा रहा है कि दुनिया इस समय वैश्विक मंदी के बीच रोजगार चुनौतियों का सामना कर रही है। दुनिया की कई विकसित व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार अवसरों में बड़ी कमी आई है। लेकिन भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में वेतन वृद्धि और रोजगार मौके बढऩे का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। 21 फरवरी को दुनिया के प्रसिद्ध ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विस फर्म एओन ने अपनी सालाना सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2024 में एशिया-प्रशांत के अन्य सभी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि औसतन 9.5 प्रतिशत भारत में होगी। यह वृद्धि चीन की तुलना में लगभग डेढ़ गुना होगी। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, इंजीनियरिंग, ऑटोमोटिव और लाइफ साइंसेज सेक्टर में सबसे ज्यादा वेतन बढ़ेगा। गौरतलब है कि दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जापान और ब्रिटेन की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ऋणात्मक हो गई है। जहां जापान की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ चुकी है, वहीं यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी संघर्ष कर रही है।

जर्मनी ने हाल ही में जापान को पछाडक़र तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल किया है। जर्मनी में महंगाई चरम पर है और विकास में ठहराव आ गया है। अमरीका भी वैश्विक सुस्ती के खतरे में शामिल है। इस समय लाल सागर पर हो रहे हमलों तथा इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध ने अमरीकी कंपनियों के कारोबार को घटा दिया है। इस बीच दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन भी तेज आर्थिक वृद्धि के दिनों से दूर हो गया है। इससे इन देशों में रोजगार के मौकों पर प्रतिकूल असर हुआ है। ऐसे में यह कोई छोटी बात नहीं है कि चिंताजनक वैश्विक रोजगार परिदृश्य के बीच भारत में बढ़ती हुई तेज अर्थव्यवस्था के कारण रोजगार-स्वरोजगार के मौके बढ़ रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि अभी भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। उससे आगे अमरीका, चीन, जर्मनी और जापान हैं। कुछ समय पहले तक माना जा रहा था कि भारत 2026 में जापान को पीछे कर दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, लेकिन अब भारत और जापान की अर्थव्यवस्था में बहुत थोड़ा अंतर रह गया है। इसलिए जापान की अर्थव्यवस्था से इसी साल 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था आगे निकल सकती है और चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज पहन सकती है। ऐसे में बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था में नए रोजगार मौके निर्मित होते हुए दिखाई दे रहे हैं। यद्यपि वैश्विक मंदी के कारण दुनिया की छोटी-बड़ी कई अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार के मौके कम हुए हैं, लेकिन कोविड-19 के बाद डिजिटल दौर के कारण देश और दुनिया के विभिन्न देशों में डिजिटल कौशल से सुसज्जित भारतीय युवाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़े हैं। खास तौर से डिजिटल इकोनॉमी के तहत ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, सायबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी डेटा साइंस, कंटेंट क्रिएशन, ब्लॉकचेन मेटावर्स, नेटवर्किंग, रिलेशनशिप बिल्डिंग, डिजिटल लिटरेसी, इमोशनल इंटेलिजेंस ग्रोथ और क्रिटिकल थिंकिंग से जुड़े रोजगार अवसर भी तेजी से बढ़े हैं।

नई स्टार्टअप्स से युवाओं के लिए लाखों रोजगार बन रहे हैं। देश की नई प्रतिभाशाली पीढ़ी के बल पर देश स्टार्टअप और सॉफ्टवेयर से लेकर स्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामथ्र्यवान देश के रूप में उभर रहा है। भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और देश में स्टार्टअप्स की संख्या अब 1.25 लाख के आसपास पहुंच रही है। इनमें बड़ी संख्या में स्टार्टअप टियर 2 और टियर 3 शहरों में हैं। सरकार की कवायदों से युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के लिए निजी क्षेत्र के साथ सरकारी क्षेत्र में भी नए रोजगार अवसर बढ़े हैं। सरकार के द्वारा रोजगार बढ़ाने के लिए लागू की गई विभिन्न योजनाओं पीएम ऋण योजना, पीएम स्वनिधि योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मनरेगा आदि के तहत करोड़ों युवाओं की मुठ्ठियों में रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं। हाल ही में 11 फरवरी को रोजगार मेले के तहत भर्ती किए गए एक लाख से अधिक कर्मियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नियुक्ति-पत्र वितरित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार ने पिछले 10 साल में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की तुलना में युवाओं को डेढ़ गुना ज्यादा नौकरियां दी हैं। यूपीए के कार्यकाल में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) के माध्यम से 10 साल में 256405 नियुक्तियां हुई थीं, जबकि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 511775 नियुक्तियां हुई हैं। इसी तरह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा पिछले दिनों जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में बढ़ते श्रम बल के बीच बेरोजगारी दर घटी है। वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर 2023 के दौरान शहरी बेरोजगारी दर घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई है। इतना ही नहीं, नए भारत की नई संभावनाओं और तेजी से बढ़ती देश की अर्थव्यवस्था की अहमियत को समझते हुए दुनिया के उद्यमियों और प्रवासी भारतीयों के कदम भी भारत की ओर बढ़ रहे हैं। उद्योग संगठन नैस्कॉम के पूर्व चेयरमैन सौरभ श्रीवास्तव का कहना है कि देश की विकास गाथा में शामिल होने के लिए अमरीका और यूरोप सहित दुनिया भर से भारतीय उद्यमी वापस अपनी मातृभूमि की ओर लौट रहे हैं।

ये अपने साथ लाई गई पूंजी और विदेशों में अर्जित कौशल से रोजगार के नए मौके भी निर्मित कर रहे है। नि:संदेह एक ऐसे दौर में जब दुनिया के अनेक विकसित और विकासशील देशों में कार्यशील युवाओं की कमी का परिदृश्य है, तब भारत अपनी कुशल युवा आबादी के साथ रोजगार बाजार में नई संभावनाओं वाले देश के रूप में उभरकर सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एक अरब 42 करोड़ 86 लाख आबादी के साथ भारत दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन गया है। जबकि दूसरे स्थान पर चीन की इस रिपोर्ट के मुताबिक युवा आबादी के मामले में भारत की स्थिति चीन से अच्छी है। जहां इस समय भारत की करीब 50 फीसदी आबादी 25 साल में कम उम्र की है, वहीं 25.4 करोड़ आबादी 15 से 24 वर्ष के आयु वर्ग में है। भारत की 66 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम उम्र की है। ऐसे में नई पीढ़ी को देश और दुनिया में बढ़ती हुई रोजगार की नई संभावनाओं के मद्देनजर अब नई शिक्षा नीति से नई युवा आबादी को नए अवसरों को निर्मित करने वाली नई शक्ति के रूप में परिणित किया जाना होगा। कम्प्यूटर-आईटी दक्षता, कोडिंग स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों से भी सुसज्जित किया जाना होगा। देश के युवाओं को निर्धारित किए गए तकनीक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कौशल और प्रशिक्षण से सुसज्जित करके रोजगार की डगर पर आगे बढ़ाना होगा। हम उम्मीद करें कि देश और दुनिया के बदलते हुए नए डिजिटल आर्थिक दौर में भारत की नई पीढ़ी अपने डिजिटल कौशल और अपनी प्रतिभा से रोजगार और स्वरोजगार के मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए आगामी तीन-चार वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगी। इस तरह युवा आबादी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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