कोटिलिंगेश्वर मंदिर कर्नाटक

By: Mar 9th, 2024 12:21 am

चारों तरफ से छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह पावन धाम सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहां दर्शन करने के लिए आते हैं….

कोटिलिंगेश्वर मंदिर कर्नाटक के कोलार जिले के काम्मासांदरा नामक गांव में स्थित है। भगवान भोलेनाथ का एक अद्वितीय और अति विशाल शिवलिंग यहां स्थित है, जिसके लिए यह मंदिर प्रसिद्ध है। भोलेनाथ के इस विशाल शिवलिंग को पूरी दुनिया में कोटिलिंगेश्वर के नाम से जाना जाता है। चारों तरफ से छोटे-छोटे करोड़ों शिवलिंगों से घिरा शिव का यह पावन धाम सुंदर और शांत प्रकृति के हरियाले आंचल में बसा है। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्तजन यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।

स्थिति तथा निर्माण
कोटिलिंगेश्वर मंदिर ककिनाड़ा से 45 किमी. दूर द्रक्षारमम मंदिर के पास स्थित है। यह राजामुंद्री शहर के पास में ही है। दसवीं शताब्दी में बना यह मंदिर राजामुंद्री का प्रमुख आकर्षण है। यहां पूरे साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। एक मान्यता यह है कि जब भगवान इंद्र को गौतम नाम के एक ज्ञानी ने श्राप दिया था, तो उन्होंने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए कोटिलिंगेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्थापित किया। कहा जाता है कि श्राप से मुक्ति पाने के लिए इंद्र ने 10 लाख नदियों के पानी से शिवलिंग का अभिषेक किया था।

एक करोड़ शिवलिंग
इस मंदिर में प्रवेश करते ही भक्तों की नजरें एक टक केवल मंदिर के आकार को ही निहारती हैं, क्योंकि यहां बसा है महादेव का वह रूप, जो शायद दुनिया भर में अपनी तरह का इकलौता मंदिर है। यहां मंदिर का आकार ही शिवलिंग के रूप में है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग भी है। शिवलिंग रूप में इस मंदिर की ऊंचाई 108 फुट है, जिसके दर्शन कर श्रद्धालु पूरी तरह से शिवमय हो जाते हैं और इसकी गवाही देते हैं। मंदिर के चारों ओर मौजूद हैं करीब 1 करोड़ शिवलिंग। कोई भी अचंभे में पड़ सकता है कि आखिर मुख्य मंदिर के आसपास लाखों शिवलिंग क्यों स्थापित हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना में इस अचंभे का राज छिपा है। इस मंदिर में भक्त अपने मन में सच्ची श्रद्धा लिए आते हैं और अपनी सामथ्र्य के अनुसार एक फुट से लेकर तीन फुट तक के शिवलिंग अपने नाम से यहां स्थापित करवाते हैं। ये महादेव की महिमा ही है कि अब इन शिवलिंगों की संख्या करीब एक करोड़ तक पहुंच चुकी है।

शिवलिंग की विशालता
इस विशाल शिवलिंग के सामने नंदी भव्य और विशाल रूप में दर्शन देते हैं, जिसकी ऊंचाई 35 फुट है और वह 60 फुट लंबे, 40 फुट चौड़े और 4 फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थित हैं। इस विशाल शिवलिंग के चारों ओर देवी मां, गणेश, श्री कुमारस्वामी और नंदी महाराज की प्रतिमाएं ऐसे स्थापित हैं, जैसे वे अपने आराध्य देव को अपनी पूजा अर्पण कर रहे हों। मंदिर का यही अद्भुत रूप और हर मन्नत पूरी होने की मान्यता ही दूर-दूर से हजारों भक्तों को यहां खींच लाती है। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही कोटिलिंगेश्वर की प्रतिमा में भक्तों को साक्षात महादेव के दर्शनों की अनुभूति होती है और कोटिलिंगेश्वर रूप में भोले अपने भक्तों के कष्टों को हरने के लिए आतुर दिखाई देते हैं। इस पूरे मंदिर परिसर में कोटिलिंगेश्वर के मुख्य मंदिर के अलावा 11 मंदिर और भी हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु, अन्नपूर्णेश्वरी देवी, वेंकटरमानी स्वामी, पांडुरंगा स्वामी,पंचमुख गणपति, राम, लक्ष्मण, सीता के मंदिर मुख्य रूप से विराजमान हैं।

मान्यता
मान्यता है कि मंदिर परिसर में मौजूद दो वृक्षों पर पीले धागे को बांधने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। विशेषकर शादी विवाह में आने वाली अड़चनें दूर हो जाती हैं। मंदिर की तरफ से भी निर्धन परिवारों की कन्याओं का विवाह नाममात्र का शुल्क लेकर करवाया जाता है। सारी व्यवस्था मंदिर की तरफ से की जाती है। वहीं, दूर-दूर से आने वाले भक्तों के रहने, खाने-पीने का भी यहां उचित इंतजाम किया जाता है। महाशिवरात्रि पर तो इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है। अपने आराध्य देव को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पण कर पुण्य लाभ कमाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दो लाख तक पहुंच जाती है।


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