विजयी चेहरों की सूची

By: Mar 4th, 2024 12:05 am

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की है, उसमें निरंतरता के साथ-साथ परिवर्तन और नयापन भी है। सामाजिक न्याय का भी संदेश दिया गया है, क्योंकि ओबीसी के 57 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। अनुसूचित जाति के 27 और जनजाति के 18 नामों को भी स्थान दिया गया है, हालांकि उनकी निश्चित सीटें आरक्षित होती हैं। भाजपा ने अपने बुनियादी जनाधार सामान्य वर्ग की अनदेखी भी नहीं की है, क्योंकि सूची में उसके 93 चेहरों को शामिल किया गया है। 28 महिला उम्मीदवार भी तय किए गए हैं, हालांकि उनका 14 फीसदी प्रतिनिधित्व कम है। संभव है कि अगली सूचियों में यह संख्या बढ़ाई जाए! भाजपा की सूची में सामाजिक न्याय और सामाजिक इंजीनियरिंग की ऐसी झलक है, जो विपक्ष के जातीय गणना के मुद्दे का करारा जवाब है। प्रधानमंत्री मोदी की सिर्फ चार जातियों-गरीब, महिला, युवा, किसान-पर भी खासा फोकस रहा है। सूची में 47 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी उम्र 50 साल से कम है, लिहाजा भाजपा की अगली पीढ़ी तैयार करने की भी रणनीति है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 195 में से भाजपा ने 155 सीटें जीती थीं। ये अधिकतर विजयी चेहरे और भाजपा की जीत के सूत्रधार माने गए हैं, लिहाजा चुनावों की अधिकृत घोषणा से पहले ही इन नामों का ऐलान किया गया है, ताकि संभावित जीत में कोई भी गुंजाइश न रहे। किसी भी राष्ट्रीय दल ने अभी तक इतने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। इनमें 53 सीटें ऐसी हैं, जहां 2019 में भाजपा 2.50 लाख से 6.89 लाख वोट के अंतर से जीती थी। भाजपा का लक्ष्य अधिकतम सीटें जीतने का है। सूची में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भी नाम है, जो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री थे। उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय नेता माना जाता है, क्योंकि वह लगातार संसद में रहे हैं।

मोदी सरकार में भी वह लगातार लोकसभा सांसद चुने गए। एक बार फिर वह लखनऊ सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए हैं। उनके साथ-साथ सूची में दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज का नाम भी है, जिन्हें नई दिल्ली लोकसभा सीट के लिए, पहली बार, उम्मीदवार तय किया गया है। यही निरंतरता के साथ नयापन भी है। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन समेत पुराने चेहरों को बदल दिया गया है। सिर्फ मनोज तिवारी को उनकी सीट पर बरकरार रखा गया है। प्रख्यात क्रिकेटर गौतम गंभीर ने सक्रिय राजनीति से मुक्त किए जाने का आग्रह भाजपा अध्यक्ष नड्डा से किया है। बहरहाल सबसे बड़े राज्य उप्र में फिलहाल 51 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। लगभग सभी को दोबारा अवसर दिया गया है, लेकिन अयोध्या, रायबरेली, वरुण गांधी की पीलीभीत, मेनका गांधी की सुल्तानपुर सरीखी अति महत्वपूर्ण और संवेदनशील सीटों पर प्रत्याशियों के चयन अभी किए जाने हैं। सूत्रों के मुताबिक, शायद वरुण गांधी को इस बार टिकट न दिया जाए! भाजपा ने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों-शिवराज सिंह चौहान, अर्जुन मुंडा, बिप्लव कुमार देव, सर्वानंद सोनोवाल-को भी लोकसभा चुनाव की रेस में शामिल किया है। वैसे शिवराज 18 साल से अधिक समय तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

उससे पहले वह लोकसभा में विदिशा का ही प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज को भी विदिशा से जितवाया था। भाजपा ने तीन मंत्रियों समेत 34 सांसदों के टिकट काटे हैं, लेकिन 34 मंत्रियों पर दांव भी लगाया है। मनसुख मांडविया, राजीव चंद्रशेखर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेंद्र यादव, सोनोवाल, वी. मुरलीधरन, पुरुषोत्तम रुपाला आदि केंद्रीय मंत्री राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन अब वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। गौरतलब यह है कि पैरालंपिक चैम्पियन भाला खिलाड़ी देवेंद्र झाझडिय़ा को भी राजस्थान की एक सीट पर उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने इस बार केरल से 12 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जिनमें अब्दुल सलाम अभी तक इकलौते मुस्लिम चेहरा हैं। हालांकि 2019 में 6 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। भाजपा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता ए.के.एंटनी के बेटे अनिल को भी टिकट दिया है। अभी महाराष्ट्र, बिहार समेत करीब 20 राज्यों के नाम भी घोषित किए जाने हैं। भाजपा का लक्ष्य 370 सीटों का है।


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