ध्यान और तर्क

By: Mar 2nd, 2024 12:15 am

श्रीश्री रवि शंकर

वितर्क एक ऐसा विशेष तर्क है, जिस से विश्व में कोई विश्वास जगाने के लिए और सत्य को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, पातंजलि योग सूत्र का ज्ञान। तर्क से समाधि मिलती है। किसी भी ज्ञान को तार्किक रूप से समझने या केवल उसके बारे में पढऩे या बात करने से भी हमारी चेतना निश्चित रूप से प्रभावित होती है…

यदि आपके जीवन के सभी अनुभवों को पूर्णतया तार्किक रूप से समझाया जा सके, तो निश्चय ही आपने जीवन में स्वयं को किसी महत्त्वपूर्ण पहलू से वंचित रखा है? संप्रगणत समाधि (सजग चेतन) की अवस्था में, विशेष तर्क का वास उस ध्यान के साथ होता है जिसमें संपूर्ण अनुभव और विचार सम्मिलित होते हैं। ऐसी अवस्था में परम आनंद और सिर्फ ‘मैं हूं’ का अनुभव भी सम्मिलित होता है। तर्क के तीन प्रकार हैं। स्वयं को जानने के लिए या अपने कृत्यों पर राय बनाने के लिए आपको तीन प्रकार के तर्कों को जानने की जरूरत है। पहला है तर्क। तर्क को अंग्रेजी में लॉजिक कहते हैं। यह एक ऐसी अनुक्रमिक तार्किक समझ है, जिससे वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ता है। जब ऐसी समझ के आधार में परिवर्तन आ जाता है, तो वैज्ञानिक निष्कर्षों में भी परिवर्तन आ जाता है। उदाहरण के तौर पर, कीटनाशकों को पूर्व में बहुत उपयोगी माना जाता था, परंतु अब वे अत्यधिक हानिकारक माने जाते हैं। तर्क में मौलिक प्रतिमान ही बदल जाते हैं।

दूसरा है कुतर्क। कुतर्क का अर्थ है गलत अथवा विसंगत तर्क, जिस में आशय ही गलत होता है। ऐसी स्थिति में तर्क लगाने का एकमात्र उद्देश्य दूसरे में गलती खोजना या निकालना होता है। अंतर्मन को तो बोध होता है कि यह बात सही नहीं हैं, फिर भी तर्क के द्वारा आप उस बात को सही सिद्ध कर देते हैं। ऐसे तर्क को कुतर्क कहा जाता है। उदाहरण के लिए, आधे दरवाजे के खुले रहने का अर्थ है आधे दरवाजे का बंद रहना। इसलिए पूरे दरवाजे के खुले रहने का अर्थ है पूरे दरवाजे का बंद होना। भगवान प्रेम है और प्रेम अंधा होता है, इसलिए भगवान अंधे हैं।

तीसरा है वितर्क। वितर्क एक ऐसा विशेष तर्क है, जिस से विश्व में कोई विश्वास जगाने के लिए और सत्य को समझाने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, पातंजलि योग सूत्र का ज्ञान। तर्क से समाधि मिलती है। किसी भी ज्ञान को तार्किक रूप से समझने या केवल उसके बारे में पढऩे या बात करने से भी हमारी चेतना निश्चित रूप से प्रभावित होती है। ऐसी प्रभाववान अवस्था को समाधि कहते हैं, जो अपने आप में समचित्त होती है। ‘धि’ का अर्थ है बुद्धि या चेतना की शक्ति, जो आपको स्थिर रखती है।

यहां तक कि जब हम स्वयं के बारे में एक निश्चित तर्क के साथ बात कर रहे होते हैं, तब भी हम समाधि की अवस्था में होते हैं। वितर्क में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिनका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं होता है जैसे कि ‘मैं कौन हूं’? ‘मैं कहां हूं्’? मुझे सचमुच क्या चाहिए? इन मोहक दार्शनिक प्रश्नों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है, आपकी सजगता बढ़ती है और आपकी चेतना खिल उठती है आप को आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है।


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