पीला रतुआ रोकने को कम से कम दो बार करें छिडक़ाव

By: Mar 14th, 2024 12:17 am

महामारी को रोकने के लिए जिला ऊना पहुंची 645 लीटर दवाई, कृषि विक्रय केंद्रों में किसानों को आसानी से हो जाएगी उपलब्ध

स्टाफ रिपोर्टर-ऊना
गेहूं की फसल में पीला रतुआ दिखने पर किसानों के होश उड़ गए हैं। किसान अपने स्तर पर फसल में दवाई का स्प्रे करने में जुटे हैं, उन्हें डर है कहीं फसल खराब न हो जाएं। फिलहाल गिने-चुने किसानों के खेतों में ही पीला रतुआ रोग ने दस्तक दी है। अभी तक जिला ऊना में पीला रतुआ की महामारी कृषि विभाग के नियंत्रण में है। विभाग ने किसानों से अपील की है कि किसान इस महामारी को रोकने के लिए कम से कम दो बार दवाई का छिडक़ा करें। कृषि विभाग ने जिला ऊना में पीला रतुआ की महामारी को फैलने से रोकने के लिए टिल्ट(प्रोपीकोनाजोल) दवाई की 645 लीटर की खेप मंगवाई है। जिसे जिला के पांचों कृषि खंडों के विक्रय केंद्रों में वितरित किया जा चुका है। जहां से किसानों को आसानी से दवाई उपलब्ध करवाई जा रही है। विभाग के अधिकारी किसानों को सचेत रहने के साथ ही पीला रतुआ की दवाई का स्प्रे करने की सलाह दे रहे हैं। कृषि विभाग के अनुसार जिला ऊना के सभी खंडों में पीला रतुआ के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। कृषि विभाग की टीमें मौके पर पहुंचकर किसानों को पीला रतुआ से गेहूं की फसल को बचाने के लिए उचित निर्देश जारी कर रहे हैं। ताकि किसानों को गेहूं की फसल में नुकसान का सामना न करना पड़े।

वहीं, कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना में 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। जहां से प्रति वर्ष किसानों को 80 हजार मीट्रिक टन के करीब गेहूं की पैदावार होती है और करीब 8 लाख क्विंटल पशुचारा(तूड़ी) निकलती है। 35,514 हेक्टेयर भूमि में 20941 हेक्टेयर गैर सिंचित क्षेत्र व 14573 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र शामिल है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं के पौधों के भागों जैसे पत्तियां, तना व बाली आदि पीला रतुआ रोग का संक्रमण देखा जा सकता है। पीले रंग की धारी पत्तों की नसों के समानांतर चलने वाली धारियां होती हैं। शुरुआत में पत्तों की उपरी सतह पर पीले रंग की धारियां देखने को मिलती हैं, जो धीरे-धीरे पूरे पत्ते को पीला कर देती है। इसका पीला पाउडर जमीन पर पड़ा भी देखा जा सकता है। गेहूं के पौधे पर हाथ लगाने से पीले रंग का पाउडर हाथ पर भी लग जाता है। शुरू में यह रोग 10-15 पौधों से एक गोल दायरे के रूप में शुरू होता है और फिर यह बढ़ता चला जाता है।कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिला के किसान अपने खेतों में गेहूं की फसल में पीला रतुआ की महामारी को रोकने के लिए कम से कम दो बार दवाई का छिडक़ाव करें। कृषि विभाग की ओर से जिला ऊना के सभी कृषि विक्रय केंद्रों में प्रोपीकोनाजोल (टिल्ट)नामक दवाई उपलब्ध करवाई गई है।

एक लीटर पानी में डालें एक एमएल टिल्ट

वहीं, कृषि उपनिदेशक डा. कुलभूषण धीमान ने कहा कि जिला ऊना में पीला रतुआ की महामारी नियंत्रण में है। किसान गेहूं की फसल में पीला रतुओं की महामारी को रोकने के लिए प्रोपीकोनाजोल टिल्ट एक मिली लीटर दवाई का एक लीटर पानी में घोल बना कर छिडक़ाव करें। यह दवाई कृषि विभाग के सभी विक्रय केंद्रों पर उपलब्ध है।


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