जांच होनी चाहिए महाराज…

By: Mar 30th, 2024 12:05 am

जांच होनी ही चाहिए महाराज। मेरा पड़ोसी नई आलीशान कार खरीद कर ले आया है। उसकी तनख्वाह तो मेरी तनख्वाह से भी आधी है। मैं तो सेकंड हैंड गाड़ी भी नहीं खरीद पा रहा हूं, जबकि वह इतनी महंगी कार खरीद लाया है। उसके पास इतने पैसे कहां से आए, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए। जांच एजेंसियों को उसे पूछताछ के लिए तलब किया जाना चाहिए। इससे जांच एजेंसी को भी काम मिल जाएगा और यह भी पता चल जाएगा कि पड़ोसी की आमदनी के सोर्स तनख्वाह के अलावा और क्या-क्या हैं। सबसे बड़ी बात यह होगी कि मेरे कलेजे को ठंड पड़ जाएगी। अभी उसकी चमचमाती कार उसके घर के आगे खड़ी देखकर मेरे कलेजे में जलन हो रही है। मैं तो वैसे भी जांच का जन्मजात हिमायती रहा हूं। जब देश में किसी न किसी की जांच चलती रहेगी तो इससे पता चलेगा कि देश चल रहा है और जांच एजेंसियां भी कुछ न कुछ कर रही हैं। जब जांच चलना बंद हो जाएगी तो जांच एजेंसियां निठल्ली बैठकर क्या करेंगी? यह लाख टके का सवाल है। मैं तो चाहता हूं कि इस मुल्क में जो कुछ भी हो रहा है या नहीं हो रहा है, उसकी भी बाकायदा जांच चलती रहनी चाहिए। मसलन किस जनसेवक ने देश सेवा के नाम पर देश को कहां-कहां, कैसे-कैसे और कितना कितना चूना लगाया। अपनी नालायक औलाद को कहां-कहां फिट करवाया। कितने गुंडे, मवालियों को थानों से छुड़वाया, कितने विरोधियों को पिटवाया? कितनी जांच रिपोर्टों को रद्दी में फेंकवाया? समाज सेवा करते हुए किस जन सेवक ने कितनी चांदी काटी? कितनी डीलें की?

कितने घपले किए? कितने दो नंबर के कामों को अंजाम दिया? इसकी बराबर जांच होती रहनी चाहिए। यही नहीं, जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि जब मुल्क के सदनों में आपराधिक छवि के लोग जीतकर आ रहे हैं तो स्वच्छ छवि वाले माननीय सभासद अपना टाइम पास कैसे करते हैं या फिर स्वच्छ छवि के सभासदों के बीच बैठकर अस्वच्छ छवि वाले माननीयगण क्या महसूस करते हैं? और इन छवियों के संगम में मुल्क के लोकतंत्र की क्या छवि दिखती है? इसके अलावा जांच यह भी होनी चाहिए कि मुल्क के खजाने की असली चाबी किसके पास होती है- सरकार के पास, नेताओं के पास, धन्ना सेठों के पास, अफसरों के पास या फिर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास? जांच यह भी होनी चाहिए कि इस खजाने से निकला पैसा कहां जाता है? गरीबों के कटोरे में? नेताओं और अफसरों के लाकरों में? ठेकेदारों के बंगलों में या फिर स्विस बैंकों में? जब जांचें चलती रहेंगी तो पब्लिक को भी पता चलता रहेगा कि सरकार भी अपना काम कर रही है और जांच एजेंसियां भी अपना काम कर रही हैं। दोनों में से कोई भी निठल्ला नहीं बैठा है। जब पब्लिक को ऐसी फीलिंग आएगी तो पब्लिक महंगाई के थपेड़े भूल जाएगी। राजनीतिक दलों के चुनावी वायदे भूल जाएगी। नेताओं की बेवफाई भूल जाएगी। जनता यह सोचकर संतुष्ट हो जाएगी कि सरकारें कुछ और करें न करें, लेकिन जांच करवाने के मामले में बहुत एक्टिव मोड में रहती हैं। विपक्ष सरकार के घोटालों की जांच की मांग करता है और सरकार विपक्ष के नेताओं के घोटाले की जांच में जुट जाती है। टीवी पर लाइव डिबेट होती रहती है। सोशल मीडिया में हलचल रहती है। पब्लिक व्हाट्सएप चेक करती रहती है कि देखिए अब किस नए नेता की जांच खुल रही है? इससे पब्लिक का टाइम भी पास हो जाता है और व्हाट्सएप की दुनिया भी आबाद रहती है। अब आप खुद ही समझ जाइए कि जांच के कितने फायदे होते हैं और जांच तो चलती ही रहनी चाहिए।

गुरमीत बेदी

साहित्यकार


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App