शाहजहां मामले में क्या छुपाना चाहती हैं ममता

तब उन्होंने ‘ममता बनर्जी’ वाला सूत्र अपनाया। शाहजहां को सीबीआई को नहीं दिया। जो करना हो, कर लो। सारा बंगाल देख रहा है। आखिर ममता बनर्जी शाहजहां को इस सीमा तक जाकर भी क्यों बचाना चाहती हैं? यह प्रश्न शेषनाग की तरह फन तान कर उसके सामने खड़ा है। ममता बनर्जी को किस बात का डर है? दूसरे दिन हाई कोर्ट फिर आदेश देता है। शाहजहां को बंगाल पुलिस की सुरक्षा से निकाल कर सीबीआई को सौंप दिया जाए। लगता है हाईब्रिड तक ममता सरकार के शाहजहां को बचाने के सारे हथियार खत्म हो गए हैं। आखिर शाहजहां सीबीआई की कस्टडी में पहुंच गया है। सुना है इसको लेकर ममता बहुत बड़ी रैली करने जा रही हैं। पार्टी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया कि रैली प्रदेश की पीडि़त महिलाओं के पक्ष में होगी या शाहजहां के पक्ष में…

बंगाल में शाहजहां शेख ने उनसे पूछताछ करने के लिए गई ईडी की टीम पर अपने लोगों से हमला करवा दिया था। इसके बाद वह ‘सरकारी कागजों’ में फरार हो गया था। ईडी ने उसके खिलाफ पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करवा दी। ऐसे मामलों में सामान्यतया पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करती है। लेकिन पुलिस ने ज्यादा रुचि ईडी की टीम के खिलाफ कार्रवाई करने में दिखाई। पर तब तक इस नए शाहजहां के बारे में यौन शोषण व जमीनें हड़पने के कई मामले सामने आने लगे। लोग, विशेषकर महिलाएं, सडक़ों पर उतरने लगे तो शाहजहां के खिलाफ नए-नए केस दर्ज होने लगे। लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। अलबत्ता ममता बनर्जी ईडी के खिलाफ जरूर भाषण देती रही। यह भी बताती रही कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को जानबूझकर तंग किया जा रहा है। अब बंगाल की पुलिस को इतना तो पता ही था कि यह शाहजहां मुगल वंश का शाहजहां नहीं है, बल्कि तृणमूल वंश का शाहजहां है। इसलिए उसने कूट भाषा को समझ कर शाहजहां को पकडऩे की बजाय उसे छिपाने में सारी शक्ति खर्च कर दी। लेकिन इसे ममता का दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि उसके शाहजहां की एक के बाद एक करतूत सामने आती गई।

यहां तक कि उसके आदमी सुंदर लड़कियों को उनके परिजनों के सामने ही उ कर ले जाते थे। उनके अपने घर में या पार्टी कार्यालय में ले जाकर उनसे बलात्कार करते थे। लगता था, उन्होंने अपनी इस गतिविधि को भी पार्टी चुनाव घोषणा पत्र का हिस्सा मान लिया हो। जब बंगाल पुलिस यौन शोषण पीडि़त महिलाओं की पक्षधर होने की बजाय शाहजहां की पक्षधर बन गई तो लोग कोलकाता हाई कोर्ट की शरण में गए। वैसे भी अब तक शाहजहां भी सक्रिय हो गया था और लोगों को अपने गुर्गों को माध्यम से धमकाने लगा था। उच्च न्यायालय ने शाहजहां को गिरफ्तार न करने पर प्रदेश सरकार के रवैए पर हैरानी जाहिर की और प्रशासन को उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का आदेश दिया। लेकिन लोग जानते थे कि प्रदेश सरकार की रुचि उसे बचाने में है, न कि गिरफ्तार करने में। प्रदेश में संदेशखाली में शाहजहां के शासन के काले चि_े सामने आ रहे थे। इसलिए हो-हल्ला बढ़ता जा रहा था। मामला यहां तक पहुंच गया था कि प्रदेश सरकार को कोई न कोई सफाई देना जरूरी हो गया था कि वह बताए कि वह तृणमूल नेता शाहजहां को आखिर क्यों गिरफ्तार नहीं कर रही? ‘वह मिल नहीं रहा’, यह बहाना अब काम नहीं आ रहा था। तब ममता बनर्जी के भतीजे मैदान में उतरे। जिस प्रकार ममता बनर्जी कई शाहजहां की सहायता से बंगाल का प्रशासन चला रही हैं, उसी प्रकार उनके भतीजे अभिषेक बैनर्जी तृणमूल कांग्रेस का प्रशासन चला रहे हैं। अभिषेक ने बाकायदा एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि राज्य सरकार तो शाहजहां को पकडऩा चाहती है, लेकिन कोलकाता हाईकोर्ट ने ही इस पर रोक लगाई हुई है। वैसे भी शाहजहां को ‘भागे हुए’ अब पचपन दिन हो ही गए थे। तब हाई कोर्ट ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए इस प्रकार की बहानेबाजी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए शाहजहां को तुरंत गिरफ्तार करने के लिए ही नहीं कहा, बल्कि यहां तक आदेश दिया कि उसे प्रदेश पुलिस के अलावा ईडी या सीबीआई भी गिरफ्तार कर सकती हैं। जाहिर है हाई कोर्ट के इस आदेश से ममता के साम्राज्य में हलचल मचती।

अब शाहजहां को छिपाना मुश्किल था। खतरा यह हो गया था कि यदि ईडी या सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया तो कहर टूट पड़ेगा। इसलिए उसे तुरंत बंगाल पुलिस की सुरक्षा में लेना पड़ेगा अन्यथा वह ईडी या सीबीआई की गिरफ्त में आ जाएगा। तब पता नहीं क्या-क्या उगल दे। इसलिए तुरंत बंगाल पुलिस ने ‘गिरफ्तारी’ की ढाल में उसे अपनी सुरक्षा में ले लिया। लेकिन साथ ही अपनी सफलता का जश्न भी मनाना शुरू कर दिया कि बंगाल पुलिस कितनी चुस्त दुरुस्त है कि शाहजहां उसके शिकंजे से बच नहीं सका। पुलिस को लगता था बंगाल के लोग उसके इस आदेश से धोखे में आ जाएंगे। ममता बनर्जी के लोग अपनी इस सफलता पर बाकायदा नाचने लगे। लेकिन यह शोर शराबा ज्यादा देर नहीं चल सका। ममता और उनका भतीजा अभी यह नकली फुलझडिय़ां चला ही रहे थे कि हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि शाहजहां तुरन्त सीबीआई के हवाले कर दिया जाए। अब मामला टेढ़ा हो गया था। हाई कोर्ट ने कहा था शाम साढ़े चार बजे तक अपराधी को सीबीआई के हवाले कर दिया जाए। आम तौर पर होता यह है कि इस प्रकार के मामलों में अपराधी कोर्ट की तरफ भागते हैं कि मुझे सीबीआई के हवाले न किया जाए। जितना बड़ा अपराधी उतना बड़ा वकील। सरकार अपराधियों की इस प्रकार की अपीलों का विरोध करती है। लेकिन शाहजहां के मामले में उलटा हुआ।

बंगाल सरकार रात को ही दिल्ली स्थित उच्चतम न्यायालय की ओर भागी। गुजारिश यह थी कि हुज़ूर किसी तरह हमारे शाहजहां को सीबीआई की कस्टडी में जाने से रोकिए। उधर साढ़े चार बजे का घंटा बज रहा है। सीबीआई के अधिकारी बंगाल पुलिस के दरवाजे पर खड़े हैं, हाईकोर्ट का आदेश लेकर। शाहजहां को हमारे हवाले कीजिए। बंगाल पुलिस का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई हुई है शाहजहां को सीबीआई से बचाने के लिए। सीबीआई के अधिकारी पूछ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्टे वगैरह दिया हो तो दिखा दें। लेकिन कोई स्टे नहीं है। दिल्ली में ममता के वकील गुहार लगा रहे हैं, हुज़ूर यह मसला बहुत जरूरी है। सब काम छोड़ कर तुरंत सुनवाई करें। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसमें कोई जल्दी नहीं देखता। वह तारीख दे देता है। अब ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के पास कोई रास्ता नहीं बचा। तब उन्होंने ‘ममता बनर्जी’ वाला सूत्र अपनाया। शाहजहां को सीबीआई को नहीं दिया। जो करना हो कर लो। सारा बंगाल देख रहा है। आखिर ममता बनर्जी शाहजहां को इस सीमा तक जाकर भी क्यों बचाना चाहती हैं? यह प्रश्न शेषनाग की तरह फन तान कर उसके सामने खड़ा है। ममता बनर्जी को किस बात का डर है? दूसरे दिन हाई कोर्ट फिर आदेश देता है। शाहजहां को बंगाल पुलिस की सुरक्षा से निकाल कर सीबीआई को सौंप दिया जाए। लगता है हाईब्रिड तक ममता सरकार के शाहजहां को बचाने के सारे हथियार खत्म हो गए हैं। आखिर शाहजहां सीबीआई की कस्टडी में पहुंच गया है। सुना है इसको लेकर ममता बहुत बड़ी रैली करने जा रही हैं। पार्टी ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया कि रैली प्रदेश की पीडि़त महिलाओं के पक्ष में होगी या शाहजहां के पक्ष में? इस तरह ममता सरकार दोगला रवैया अपना रही है।

कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

ईमेल:kuldeepagnihotri@gmail.com


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