शिक्षा के हाल… 70 छात्र एक शिक्षक के हवाले

By: Apr 17th, 2024 12:17 am

सिरमौर में देयोल प्राइमरी स्कूल में विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट, अंधेरे में नौनिहालों का भविष्य

हेमंत गर्ग – नैनाटिक्कर
सिरमौर जिला हिमाचल का ऐसा जिला जो अन्य जिलों की अपेक्षा बहुत पिछड़ा हुआ है और इसके पिछड़ेपन का मुख्य कारण है यहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होना। सिरमौर में अधिकांश तौर पर सडक़ों का टूटा होना, स्वास्थ्य सेवाओं का लोगों को न मिल पाना और विद्यालयों में अध्यापकों की कमी के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आना, सिरमौर के पिछड़ेपन की दास्तान खुद बयां करते हैं। परंतु राजनेताओं का इन समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए गहरी नींद सोए रहना तथा उनकी सुस्त कार्यप्रणाली लोगों को हताश करती है। जी हां आज हम बात कर रहे हैं प्राथमिक केंद्र विद्यालय कुज्जी के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय देयोल टिक्करी की जहां। कक्षाओं के 70 विद्यार्थियों का भविष्य मात्र एक शिक्षक के हवाले है, जिस कारण शिक्षा सुचारू रूप से बच्चों को नहीं मिल पा रही है। गौर हो कि इस ग्रामीण विद्यालय में प्री प्राइमरी की दो कक्षाओं के अलावा पहली कक्षा से पांचवीं तक की कक्षाओं में लगभग 70 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, परंतु विडंबना देखिए कि इन 70 विद्यार्थियों को मात्र एक जेबीटी अध्यापक ही शिक्षा दे रहे हैं। इस विद्यालय में मुख्याध्यापक का पद यहां रिक्त पड़ा है, जबकि 20 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक का होना अनिवार्य है, परंतु 70 विद्यार्थियों को एक अध्यापक पढ़ा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर सरकार कितनी चिंतित है।

चुनाव आते ही नेताओं द्वारा बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं तथा घरद्वार मुफ्त शिक्षा मुहैया करवाने के दावे और वादे किए जाते हैं, परंतु धरात्तल पर सच्चाई यह है कि अधिकांश विद्यालयों में अध्यापकों के कई-कई पद रिक्त पड़े हैं। जिस कारण विद्यार्थियों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई नजर आती है तथा अभिभावकों के चेहरों पर भी चिंता की रेखाएं साफ देखी जा सकती हैं। अभिभावकों का कहना है कि इस विद्यालय में दो जेबीटी अध्यापक तथा एक मुख्य अध्यापक सहित कम से कम तीन अध्यापकों का होना अनिवार्य है, परंतु सात कक्षाओं के लगभग 70 विद्यार्थियों को मात्र एक अध्यापक द्वारा शिक्षा दी जा रही है जो कि नेताओं की कारगुजारी पर सवालिया निशान खड़े करता है। विद्यालय के सात कक्षाओं के 70 विद्यार्थी मात्र दो कमरों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह विद्यार्थी क्या शिक्षा इस विद्यालय में प्राप्त करते होंगे। अत: ग्रामीणों ने अपना रोष व्यक्त करते हुए बताया कि इन लोकसभा चुनाव में शिक्षा के मुद्दों पर मतदान किया जारएगा। बहरहाल ग्रामीण विद्यालय में शिक्षकों के अभाव के कारण विद्यार्थी लगातार शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं जिसकी जिम्मेदारी इन राजनेताओं को लेनी होगी।


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