हर घर नल, पर पानी को तरस रहे पल पल

By: Apr 29th, 2024 12:10 am

जलशक्ति महकमे ने एक ही परिवार में लगा दिए दो से तीन नल, कई जगह गोशालाओं में भी दो-दो नल

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-हमीरपुर
केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन के तहत हर घर तक नल पहुंचाने की योजना शुरू की थी। सरकार ने लक्ष्य रखा कि वर्ष 2024 तक इस योजना के माध्यम से प्रत्येक घर तक पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि देश के किसी भी नागरिक को पेयजल के लिए कहीं भी दूर न भटकना पड़े। हिमाचल में इस योजना के तहत लगभग 18 लाख पानी के कनेक्शन लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया था जोकि लगभग पूरा भी हो चुका है। इसमें हिमाचल के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार प्रदेश को 1100 करोड़ का प्रोत्साहन भी दे चुकी है। जल को जीवन से जोडऩे के लिए शुरू की गई यह योजना एक बेहतरीन उद्देश्य लेकर शुरू की गई थी, लेकिन धरातल में इस योजना का जो बंटाधार हुआ है उससे न तो शायद केंद्र परिचित है न ही प्रदेश की सरकार। कुछ निचले स्तर के अधिकारियों और तथाकथित नेताओं के दबाव के चलते इस जल जीवन मिशन में ऐसा लिकेज हुआ है कि आज इस योजना के कारण बहुत से घरों तक पानी ही नहीं पहुंच पा रहा। दरअसल हुआ यह है कि कहीं अधिकारियों की मिलीभगत तो कहीं नेताओं के दबाव के चलते एक ही परिवार में दो से तीन पानी के कनेक्शन दे दिए गए हैं।

खुलासा यह भी हुआ है कि पति और पत्नी के नाम पर एक ही घर में दो-दो कनेक्शन लगा दिए गए हैं। अब हो यह रहा है कि इनमें से अधिकतर नल की टोंटियां 24 घंटे खुली होने के कारण पानी लगातार व्यर्थ बह रहा है। इससे जिन घरों में पानी की सप्लाई पहले पहुंचती है वहां तो पानी ही पानी हो रहा है लेकिन जो घर आखिरी छोर पर हैं वहां तक पानी पहुंच ही नहीं पा रहा। यदि पहुंचता भी है तो वो नल चलने की हाजिरी मात्र होती है। गोशालाओं तक में कहीं दो नल लगाने की बातें भी सामने आई हैं। पंचायतों में पानी छोडऩे और कनेक्शन देने के लिए रखे गए फीटर और वाटर गार्ड ऐसा करने के लिए इसलिए मजबूर हैं कि उन्हें साहब के हुकम को हर हाल में मानना पड़ता है। हालांकि वे भी मानते हैं कि बहुत सी जगहों पर इस योजना का मिसयूज हुआ है लेकिन वो इसलिए खामोश हैं कि कुछ भी कहना या करना उनकी हैसियत से परे है। उधर, जिला हमीरपुर में जल जीवन मिशन में हुई इस तरह की लीकेज के बारे में चर्चा करने के लिए जब आईपीएच डिपार्टमेंट के अधिक्षण अभियंता से उनके दोनों मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

गांवों में शहरों से अधिक समस्या
चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि हर घर नल योजना में हुई मनमानी में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र आगे रहे हैं। दरअसल शहरी इलाकों में तो अधिकतर पहले से ही नल लगे हुए हैं। शहरों में बाहर पानी का प्रयोग कम होता है। यहां ज्यादातर पानी को टंकियों में स्टोर कर रखने का चलन होता है। व्यर्थ पानी वहीं बहता है जहां कोई पाईप टूटी हो, लेकिन ग्रामीण इलाकों में हर घर नल योजना से हुआ ऐसा कि जिस घर में पहले से ही नल था वहां लोगों ने जुगाड़़ लगाकर दो और नल लगा लिए। ऐसे में जहां एक गांव में 50 नलों की जरूरत थी वहां सौ से डेढ़ सौ नल लग गए।


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