बिहार लोकसभा चुनाव में अब तक नहीं दौड़ पाया ‘हाथी’

By: Apr 17th, 2024 12:06 am

1989 में पहली बार लोकसभा के चुनाव में उतरी थी बसपा

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का ‘हाथी’ बिहार में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में दौड़ नहीं पाया है। बसपा का गठन कभी दलितों के करिश्माई नेता रहे कांशीराम ने 14 अप्रैल, 1984 को किया, जिसका चुनाव चिन्ह हाथी है। कांशीराम ने अपनी शिष्या, मायावती को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। बहुजन समाज पार्टी की वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती हैं, जो चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। बिहार में बसपा वर्ष 1989 में पहली बार लोकसभा के चुनाव में उतरी। बसपा ने छह सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। वर्ष 1991 के आम चुनाव में बसपा के टिकट पर 24 प्रत्याशी चुनावी समर में उतरे, लेकिन सभी को पराजय का सामना करना पड़ा। वर्ष 1996 में बसपा के 33 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन सभी को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1998 के तीन प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन सभी को पराजय का सामना करना पड़ा। वर्ष 2004 में बसपा ने बिहार की सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन सभी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2009 में बसपा ने 39 और वर्ष 2014 में सभी 40 सीट पर अपने उम्मीदवारों को उतारा, लेकिन किसी भी सीट पर बसपा प्रत्याशी को जीत नहीं मिली।

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा ने 35 प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन सभी को पराजय का सामना करना पड़ा। हालांकि बीएसपी के उम्मीदवार 11 सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे। बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में बिहार में बीते दो दशक से करीब-करीब सभी 40 सीटों पर चुनाव तो लड़ रही है, लेकिन उसे जीत नहीं मिली। बिहार से मायावती की पार्टी (बसपा) के किसी उम्मीदवार को सांसद नहीं चुना गया है। बसपा मूल रूप से उत्तर प्रदेश में अधिक सक्रिय है। उत्तर प्रदेश के अलावा बसपा बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात ,तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, केरल, झारखंड, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा समेत कई राज्यों में अपने उम्मीदवार उतारती है। बिहार में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में
बसपा की ‘हाथी’ संसद तक पहुंचने में कामयाब नहीं हुआ है।

2009 में मिला सौभाग्य

संसद में बसपा की अब तक की सर्वोत्तम उपलब्धि वर्ष 2009 में हुए लोकसभा में रही है, जिसमें उसके 21 प्रत्याशी को सांसद बनने का सौभाग्य मिला, जिसमें बिहार का कोई योगदान नहीं रहा। इसके चुनाव में मायावती बिहार की सभी 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रही है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के चुनाव में कितने संसदीय क्षेत्र में बसपा की ‘हाथी’ दौड़ लगाने में सफल हो पाती है।


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