अधिकतर जगदेव परिवार के हाथों में ही रहा हमीरपुर हलका

By: Apr 18th, 2024 12:08 am

विधानसभा क्षेत्र में 57 वर्षों में तीन बार जीता कांग्रेस का वर्मा परिवार ; पांच बार हमीरपुर से विधायक रहे ठाकुर जगदेव चंद, जनसंघ के नेता कांशी राम थे क्षेत्र के पहले विधायक

नीलकांत भारद्वाज — हमीरपुर

हिमाचल को दो बार प्रो. प्रेम कुमार धूमल और एक बार ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के रूप में मुख्यमंत्री देने वाले जिले के हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र का एक अपना ही अलग और रोचक इतिहास है। इस हलके की बागडोर अधिकतर समय एक ही परिवार के हाथ में रही। यही नहीं, भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में गठन के बाद 57 वर्षों में केवल तीन बार कांग्रेस के जो विधायक रहे, वेे एक ही परिवार से रहे। जानकारी के अनुसार वर्ष 1966 में भाषायी आधार पर पंजाब का तीन हिस्सों में विभाजन होने के उपरांत वर्ष 1967 में पहली बार हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए। उसमें भारतीय जनसंघ के कांशीराम विधायक बने। कांशी राम सुजानपुर के पटलांदर क्षेत्र के रहने वाले थे और ठाकुर जगदेव चंद के चाचा थे। उनके बाद 1972 में हुए विधानसभा चुनाव में रमेश चंद वर्मा विधायक बने, जो कि कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखते थे। 1972 के बाद ठाकुर जगदेव चंद के रूप में भाजपा ने यहां अपनी ऐसी जड़ें जमाई कि उनके जीते जी 1993 तक कांग्रेस यहां खाता नहीं खोल पाई। वह लगातार पांच बार यहां से विधायक रहे।

बताते हैं कि 1993 में जब जगदेव चंद विधायक बने थे, तो उस वक्त वह मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन जल्द ही उनका निधन हो गया था। उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हुआ, तो रमेश चंद वर्मा की धर्मपत्नी अनिता वर्मा को यहां से कांग्रेस का टिकट दिया गया। दूसरी तरफ जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। उस वक्त सबको उम्मीद थी कि सहानुभूति लहर से भाजपा जीत जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वर्षों बाद कांग्रेस को दूसरी बार अनिता वर्मा के रूप में यहां से एमएलए मिला। 1998 में जब चुनाव हुए, तो भाजपा ने जगदेव चंद के बेटे की जगह उनकी बहू उर्मिल ठाकुर को टिकट दिया। उर्मिल ठाकुर चुनाव जीत गईं और उन्होंने अनिता वर्मा को हराया। तब पहली बार प्रो. प्रेम कुमार धूमल के रूप में हिमाचल को हमीरपुर से मुख्यमंत्री मिला। 2003 के विधानसभा चुनाव में उर्मिल ठाकुर चुनाव हार गईं और अनिता वर्मा दूसरी बार विधायक बनीं। उसके बाद 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में उर्मिल ठाकुर फिर चुनाव जीतीं और अनिता वर्मा हार गईं। तब दूसरी बार प्रो. प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने। 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुए, तो प्रेम कुमार धूमल ने स्वयं हमीरपुर हलके से चुनाव लड़ा। उन्होंने उस वक्त कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में यहां से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र ठाकुर को हराया। प्रो. धूमल चुनाव तो जीत गए, लेकिन प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी।

उसके बाद 2017 के चुनाव में प्रो. धूमल को हमीरपुर से सुजानपुर शिफ्ट किया गया और एक बार फिर से जगदेव चंद के बेटे नरेंद्र ठाकुर को भाजपा ने हमीरपुर से टिकट दिया। इस बार नरेंद्र चुनाव जीत गए और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह पठानिया को हराया। बाद में जब वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ, तो वह बड़ा ही रोचक रहा। इस चुनाव में हमीरपुर सदर से न भाजपा जीत पाई न ही कांग्रेस, बल्कि आजाद प्रत्याशी के रूप में आशीष शर्मा यहां से विधायक बने। उन्होंने रिकॉर्ड 13 हजार मतों से जीत हासिल की, जा ेकि एक निर्दलीय विधायक की बहुत ही बड़ी जीत थी। 2022 में हमीरपुर से कांग्रेस चार सीटें जीती थीं और तीसरी बार प्रदेश को ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के रूप में नादौन विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री मिला। (एचडीएम)

वकील दौलत राम और रूप सिंह फूल भी रहे विधायक

हमीरपुर के इतिहास के 1967 से पीछे जाएं, तो यहां से पंडित दौलत राम और रूप सिंह फूल भी विधायक रहे। रूप सिंह फूल कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखते थे। जानकारों की मानें हमीरपुर के बजूरी के रहने वाले रूप सिंह फूल एक प्रसिद्ध अधिवक्ता भी थे और बार एसोसिएशन शिमला के के अध्यक्ष भी रहे, जबकि पंडित दौलत राम हमीरपुर में पै्रक्टिस करते थे, लेकिन वह होशियारपुर के रहने वाले थे। ये दोनों ही पेशे से वकील थे।


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