कैसे करें डिप्थीरिया से बचाव

By: Apr 13th, 2024 12:14 am

दुनियाभर में डिप्थीरिया के केस तेजी से बढ़ रहे हैं, इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर की है। डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है, जिसमें मरीज को समय पर इलाज न मिलने पर जान भी जा सकती है। इसे आम भाषा में लोग गलाघोंटू कहते हैं। यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो गले और नाक की भीतरी परत को नुकसान पहुंचाता है। अगर यह इन्फेक्शन ज्यादा पॉवरफुल है और समय पर इलाज नहीं मिला तो इससे खतरनाक टॉक्सिन्स निकलने लगते हैं। जो किडनी, लिवर और नव्र्स सिस्टम भी डैमेज कर सकता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को इससे इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होता है।

क्या है डिप्थीरिया
डिप्थीरिया एक संक्रामक बीमारी है, जिससे श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। इसके संक्रमण के चलते हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।

कैसे फैलता है डिप्थीरिया
यह बीमारी आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। अगर किसी चीज या वस्तु में बैक्टीरिया है, तो उसे छूने से भी यह फैल सकती है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने के दौरान उसके आसपास खड़े लोगों को भी डिप्थीरिया हो सकता है। सबसे बड़ा खतरा तो यह है कि कोविड की तरह शुरुआती दिनों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। इस दौरान भी इसके बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के जरिए फैल रहे होते हैं और संक्रमित व्यक्ति को नुकसान पहुंचा रहे होते हैं। इस बैक्टीरिया से गले में मोटी भूरे रंग की परत जम जाती है, इससे श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। यह धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और हृदय को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है।

डिप्थीरिया के क्या लक्षण हैं
डिप्थीरिया सबसे पहले श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, इसलिए इसके लक्षण गले से दिखने शुरू होते हैं। फिर धीरे-धीरे इसका असर बाकी अंगों पर भी दिखता है। गले में लगातार खराश रहती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। गले में सूजन के साथ तेज दर्द होता है और तेज बुखार भी रहता है। कुछ खाने और निगलने में दिक्कत होती है। सर्दी, जुकाम और खांसी के साथ थकान और कमजोरी महसूस होती है। स्किन नीली पड़ जाती है और धुंधला दिखने लगता है।

इलाज कैसे होता है
डिप्थीरिया के कारण कभी भी गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए इसका पता लगते ही डाक्टर जल्द से जल्द इलाज शुरू कर देता है। इसमें सबसे पहले एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन दिया जाता है। ताकि बैक्टीरिया ने शरीर में जो जहरीले पदार्थ छोड़े हैं, उसका प्रभाव खत्म किया जा सके। इसके बाद संक्रमण को काबू करने के लिए एरिथ्रोमाइसिन, पेनिसिलिन जैसे एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। आमतौर पर इलाज के दौरान मरीज को अस्पताल या घर में क्वारंटाइन करके रखा जाता है ताकि दूसरे लोगों को इसके संपर्क में आने से बचाया जा सके। डिप्थीरिया शरीर को बहुत कमजोर कर देता है, इसलिए इससे उबरने के लिए ज्यादा से ज्यादा आराम की जरूरत होती है। साथ ही साफ सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए।


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