‘विदेशों में फंसे भारतीयों की जल्द होगी वापसी’

By: Apr 25th, 2024 6:05 pm

नई दिल्ली। रूसी सेना में फंसे 10 भारतीय नागरिक स्वदेश लौट चुके हैं और बाकी लोगों की रिहाई के लिए भी रूस सरकार ने सहयोग का आश्वासन दिया है। इसी प्रकार से ईरान द्वारा बंधक बनाये गये वाणिज्यिक पोत पर तैनात चालक दल के सदस्यों में भारतीय सदस्यों की भी जल्द ही स्वदेश वापसी होने की संभावना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज यहां नियमित ब्रीफिंग में यह जानकारी दी।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रूस यात्रा एवं रूसी सेना में फंसे भारतीयों को सेवा मुक्त करके स्वदेश लाने से संबंधित एक सवाल के जवाब में जायसवाल ने कहा, “हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्च पदस्थ अधिकारियों की 12वीं अंतरराष्ट्रीय बैठक में भाग लेने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग में हैं और उन्होंने इसके अलावा कई अन्य बैठकें कीं, जिसमें रूस में उनके समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव के साथ बैठक भी शामिल है। उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की है जो द्विपक्षीय एजेंडे का हिस्सा हैं और उन्होंने ब्राजील के सेल्सो अमोरिम सहित कई अन्य बैठकें भी कीं हैं।

प्रवक्ता ने कहा, “जहां तक ​​भारतीय नागरिकों के संबंध में सवाल है, हम इन मामलों को विभिन्न स्तरों पर बहुत सक्रियता से उठा रहे हैं, जिसमें रूस के विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और वहां के कई अन्य संगठन शामिल हैं। और हम उन सभी भारतीयों को वापस स्वदेश लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अब तक हमारे संपर्क में आए हैं और रिहा होना चाहते हैं। ऐसे 10 लोग भारत वापस आ गए हैं और वे घर लौट आए हैं। रूस की ओर से कहा गया है कि जो अन्य भारतीय वहां हैं, उन्हें भी रिहा कर दिया जाएगा और वे घर लौट आएंगे।”

ईरान द्वारा जब्त किए गए जहाज एमएसवी आयरिश पर चालक दल के 16 भारतीय सदस्यों के बारे में पूछे जाने पर जायसवाल ने कहा, “जहाज पर तैनात चालक दल के सदस्यों में शामिल एक लड़की वापस आ गई है। हमने इन 16 लोगों के लिए राजनयिक संपर्क दिये जाने की मांग की थी जो हमें मिली और हमारे अधिकारी उनसे मिले। उनका स्वास्थ्य अच्छा है और जहाज पर किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। जहां तक उनकी रिहाई का प्रश्न है तो उसके लिए उनके रोज़गार अनुबंध की कुछ शर्ताें से संबंधित कुछ जटिलताएं हैं, उनके सुलझते ही वे वापस लौट आएंगें।”

अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों में इज़रायल के विरोध में होने वाले राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों के बारे में एक सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने इस मामले पर रिपोर्ट देखी हैं और संबंधित घटनाओं पर नज़र रख रहे हैं। हर लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं समझ के बीच सही संतुलन होना चाहिए। ज़िम्मेदारी और सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था के मामले में, लोकतंत्रों को विशेष रूप से अन्य साथी लोकतंत्रों के संबंध में यह समझ प्रदर्शित करनी चाहिए। आख़िरकार, हम सभी का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि हम घर पर क्या करते हैं, न कि हम विदेश में क्या कहते हैं।”

एक विदेशी पत्रकार द्वारा अमेरिका के नागरिक एवं घोषित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के कथित प्रयास के बारे में एक प्रश्न पूछे जाने पर जायसवाल ने कहा, “हमने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। उच्च स्तरीय समिति कई सूचनाओं पर गौर कर रही है जो अमेरिकी पक्ष द्वारा हमारे साथ साझा की गई थीं क्योंकि वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी समान रूप से प्रभाव डालती हैं। उच्च स्तरीय समिति उन पहलुओं पर गौर कर रही है और अभी यही स्थिति है। अमरीकी विदेश विभाग की मानवाधिकारों पर ताज़ा रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत की खराब समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और अन्य सभी से भी ऐसा ही करने का आग्रह करते हैं।


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