नेताओं को पानी पिलाएगी पार्वती वैली

By: Apr 13th, 2024 12:54 am

रूपी और पार्वती घाटी की दर्जनों पंचायतों के ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज

स्टाफ रिपोर्टर- भुंतर
कई सालों से पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे कुल्लू की रूपी व पार्वती घाटी के ग्रामीणों का पानी चुनावी समर में नेताओं को डुबोने की तैयारी में है। सालों से पानी-पानी चिल्ला रहे इन ग्रामीणों ने ग्रामीणों के लिए सीधा फरमान जारी कर कहा है कि अब केवल उन्ही की सुनी जाएगी जो उन्हे पानी देगा। घाटी में पानी की किल्लत लोगों की सहनशक्ति की परीक्षा सालों से ले रही है लेकिन सियासतदानों की वोट की राजनीति के आगे फिलहाल ग्रामीण नतमस्तक है। लिहाजा, चुनावी समर के आगाज ने फिर से ग्रामीणों के पानी के दर्द को सामने लाया है और वोट मांगने चौखट पर आ रहे नेताओं के लिए कठोर सवालों की लिस्ट तैयार कर दी है। बता दें कि जिला कुल्लू के कई गांवों में गर्मियों में और कई में साल के छह से सात माह तक पानी की भारी किल्लत अभी भी चल रही है।

जानकारी के अनुसार गांवों में वोट मांगने निकले प्रत्याशियों से पानी के सताए कई लोग अब सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं है तो कई लोग प्रत्याशियों से पिछला हिसाब लेकर आगे के लिए पुख्ता वायदा लेने को तैयार है। बता दें कि कुल्ल जिला की रूपी, पार्वती, महाराजा, खराहल, सैंज, बंजार के कई गांवों के सैंकड़ों ग्रामीण सालों से पानी आबंटन के मनमाने तरीके और विभागीय लापरवाही से पिस रहे हैं तो साथ ही राजनैतिक दलों के सियासी वादों से इस पर आग में घी का काम हो रहा है। इसके अलावा घाटी की अधिकतर उठाऊ जल योजनाओं में ग्रामीणों को चार से सात दिन के बाद पानी मिल रहा है। ग्रामीणों के अनुसार घाटी की इन पंचायतों के लिए कई सालों से पानी की योजनाएं बन रही है लेकिन ये योजनाएं कागजों से बाहर निकलने के बजाय लोगों को प्यासा कर रही है। कई स्थानों पर योजनाएं तो है लेकिन सियासी रेखाओं के ईशारे पर बिछने वाली पाइपलाइन या पानी की सही आपूर्ति न होने से लोगों की समस्याएं जस की तस है।

उठाऊ पेयजल योजनाएं नहीं पकड़ रही रफ्तार
ग्रामीणों के अनुसार गर्मियों में सबसे ज्यादा दिक्कतें पेश आती हैं और विभाग लोगों की समस्याओं को एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल फेंकता है। यहां के लिए पानी ऊंचे इलाकों के प्राकृतिक स्त्रोंतो से आ रहा है और गर्मियों में इसके सूखने के कारण पानी की भारी दिक्कत होती है। इन इलाकों के लिए उठाऊ पेयजल योजनाएं भी बनी है लेकिन ये फिलहाल हाथी की चाल से तैयार हो रही है। घाटी के इस पानी पर ग्रामीणों और विभागीय कर्मियों में भी खूब गुत्थमगुत्थी होती रही है। कई बार ग्रामीणों के निशाने पर कर्मी रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनावी समर में कूदे नेताओं से घाटी के पानी का पूरा हिसाब लिया जाएगा।


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