भरमौर में भेड़पालकों ने किया पहाड़ों की ओर रुख
बर्फीले दर्रे को पार कर भेड़पालकों के तीन झुंड होली घाटी होते हुए रवाना, अभी मौसम खराब
कार्यालय संवाददाता-भरमौर
चंबा से कांगड़ा को जोडऩे वाले जालसू दर्रे से होकर भेड़पालकों को जनजातीय क्षेत्र भरमौर में पहुंचने का सिलसिला आरंभ हो गया है। इस कड़ी में बुधवार को बर्फीली दर्रे को पार कर भेड़पालकों के तीन झुंड होली घाटी होते हुए अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए है। हालांकि बुधवार दोपहर बाद मौसम के अचानक रुख बदलने के चलते क्षेत्र की पहाड़ों की चोटियों और दर्रो पर दोबारा हल्के हिमपात का क्रम आरंभ हुआ है। लिहाजा आगामी दिनों में मौसम खराब रहता है तो भेड़पालकों को निचले इलाकों से पहाड़ों की ओर रूख करने में इंतजार करना होगा। उल्लेखनीय है कि जनजातीय क्षेत्र भरमौर में सर्दियों का सीजन आरंभ होते ही भेड़पालक मैदानी इलाकों की ओर पलायन कर जाते है। नवंबर माह में इनका यहां से पलायन आरंभ होता है। जिसके बाद अप्रैल माह के आरंभ होते ही भेड़पालकों का मैदानी इलाकों से पहाड़ों की ओर आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। हर वर्ष भेड़पालकों का यह क्रम रहता है।
उधर, इस मर्तबा मौसम के कड़े रूख के चलते क्षेत्र को कांगड़ा जिला से जोडऩे वाले विभिन्न दर्रो पर भारी हिमपात हुआ है। इसके चलते भेड़पालकों के क्षेत्र में देरी से पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन बुधवार की सुबह और दोपहर बाद भेड़पालकों की तीन अलग-अलग झुंड अपने पशुधन के साथ जालसू दर्रे को लांघ कर होली घाटी पहुंचे है। इस दौरान भेड़पालकों ने बताया कि दर्रे पर अभी भी भारी मात्रा में बर्फ है। मौसम साफ होने के चलते वह अपने पशुधन के साथ इसे क्रास करने में सफल रहे हंै। उनका कहना है कि मौसम खराब होने के बाद शाम के वक्त दोबारा दर्रे पर ताजा हिमपात हुआ है। ऐसे में अन्य भेड़पालकों के यहां की तरफ रुख करने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।
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