वाह ! प्रदेश में ‘ऑफ सीजन’ के दौरान लहलहा रहा ट्यूलिप

By: Apr 29th, 2024 12:16 am

लाहुल-स्पीति के उदयपुर के किसान विक्रांत ठाकुर की मेहनत रंग लाई

कार्यालय संवाददाता – पालमपुर
अप्रैल-मई के महीने में लहलहाते हुए रंग-बिरंगे ट्यूलिप देखने की बात अब साकार हो रही है। पालमपुर स्थित हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से लाहुल-स्पीति के किसानों की मेहनत रंग लाई है। लाहुल-स्पीति के उदयपुर के युवा विक्रांत ठाकुर के खेतों में रंग-बिरंगे टयूलिप के फूल पूरे यौवन पर हैं। एक ओर जहां ट्यूलिप के फूलों का सीजन फरवरी या मार्च तक सीमित होता है। वहीं, उदयपुर की फिजाएं ट्यूलिप के लिए ऑफ सीजन माने जाने वाले अप्रैल के महीने में गुलजार हैं। एक-दो नहीं हजारों ट्यूलिप के पौधे यहां दिखाई दे रहे हैं। ट्यूलिप की बाजार में काफी मांग है और एक डंडी करीब 70 रुपए में बिक रही है और इससे किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. भव्य भार्गव बताते हैं कि आईएचबीटी के साथ लाहुल-स्पीति के किसानों के लिए प्रोत्साहन की बात यह भी है कि मई के महीने में खिनिंग क्षेत्र में भी ट्यूलिप नजर आएगा।

गौर रहे कि पालमपुर स्थित आईएचबीटी संस्थान के वैज्ञानिकों ने कश्मीर के बाद देश का दूसरा और प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन पालमपुर में बनाया है। इसमें ट्यूलिप्स की विभिन्न प्रजातियों को लगाया जाता है, यह गार्डन हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सौंदर्यी को बढ़ावा एवं पर्यटन को अग्रसर करने में मदद कर रहा है। बीते वर्षों के दौरान देश-विदेश से लाखों सैलानी पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन देखने पहुंचे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार हालैंड ट्यूलिप के फूलों की सबसे अधिक पैदावार करने वाला देश है और हालैंड में तैयार किए जा रहे बल्ब ही बाकि देशों द्वारा आयात किए जाते हैं। भारत में भी हालैंड से ही ट्यूलिप के बल्ब मंगवाए जाते रहे हैं, लेकिन अब आईएचबीटी के वैज्ञानिकों के प्रयासों ने देश में फूलों की खेती में एक बड़े बदलाव आ रहा है। बीते वर्षों के दौरान लाखों संख्या में लोग आईएचबीटी में ट्यूलिप गार्डन देखने पहुंच चुके हैं। अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की मूर्ति को अर्पित करने के लिए ट्यूलिप के फूल भेजे गए थे।

पालमपुर स्थित आईएचबीटी संस्थान केंद्र सरकार और सीएसआईआर द्वारा 2021 को शुरू किए गए फ्लोरिकल्चर मिशन के तहत फूलोत्पादन को प्रोत्साहित कर रहा है। इससे अधिक से अधिक किसानों को जोड़ की उनकी आय दोगुना करने की योजना पर काम किया जा रहा है
डा. सुदेश कुमार यादव निदेशक, आईएचबीटी


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