अब मिलेगी कांट्रैक्ट सर्विस के कारण छूटी पेंशन

By: May 2nd, 2024 10:59 pm

एक हफ्ते के भीतर ऑफिस मेमोरेंडम जारी करने की तैयारी; अनुबंध सेवा मिलाकर 10 साल, तो मिल जाएगी ओल्ड पेंशन

राज्य ब्यूरो प्रमुख-शिमला

राज्य की सरकारी विभागों में नियुक्त ऐसे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है, जिनको रिटायरमेंट के बाद पेंशन अनुबंध सर्विस के कारण नहीं लगी। आयुर्वेद विभाग से सुप्रीम कोर्ट तक गए शीला देवी केस की जजमेंट को लागू करने के कारण राज्य सरकार ऐसे कर्मचारियों को अब ओल्ड पेंशन देगी, इसके लिए वित्त और कार्मिक विभाग में पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही है और ड्राफ्ट तैयार हो गया है, एक हफ्ते के भीतर यह जारी हो जाएगा। इसमें ऐसे कर्मचारियों को पेंशन का विकल्प देने के लिए एक महीने का वक्त मिलेगा। हिमाचल में पेंशन की पात्रता के लिए कम से कम 10 साल की सेवा जरूरी है। राज्य में पहले कॉन्ट्रैक्ट सर्विस की अवधि आठ साल थी, जो अब कम होते-होते दो साल रह गई है। जिन कर्मचारियों ने सरकारी विभागों में लंबी कॉन्ट्रैक्ट अवधि लगाई है, उनमें से कइयों के रेगुलर सर्विस के 10 साल पूरे नहीं हुए थे, इस कारण इन्हें बिना पेंशन रिटायर होना पड़ा था। अब शीला देवी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अनुबंध अवधि को भी पेंशन के लिए काउंट करने को कहा है। इस मामले में सात अगस्त, 2023 को फाइनल ऑर्डर आ गया था।

राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में कैसे हार गई थी, फिर छह फरवरी, 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस फैसले को लागू करने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी। इसमें कार्मिक विभाग के सचिव भी थे। कमेटी ने अब यह पेंशन देने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव है कि ऐसे रिटायर कर्मचारियों से पेंशन के लिए विकल्प लिया जाए। सीसीएस पेंशन रूल्स में सीपीएफ कंट्रीब्यूशन के प्रावधान के कारण सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा अपने आदेश में कहा है। कोर्ट का ऑर्डर कहता है कि यदि कर्मचारियों ने इस अवधि में कंट्रीब्यूटरी पेंशन फंड में कंट्रीब्यूशन की है, तो उसे राज्य सरकार को लौटा दे और सरकार इन्हें पेंशन लगाए। हिमाचल में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से कंट्रीब्यूटरी पेंशन फंड नहीं काटा जाता, इसलिए पेंशन की डिमांड करने के लिए एक महीने का वक्त मिलेगा।

प्रदेश के 2506 सरकारी स्कूलों को क्लीन चिट

शिमला। 250 करोड़ रुपए के स्कॉलरशिप घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने प्रदेश के 2506 सरकारी स्कूलों को क्लीन चिट दे दी है। सीबीआई की ओर से प्रदेश हाई कोर्ट को यह जानकारी स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से देते हुए कहा गया है कि उच्च शिक्षा निदेशालय के पास स्कॉलरशिप योजना के तहत शिक्षण कार्य से जुड़ी 2772 संस्थाएं पंजीकृत हैं। इनमें से 2506 संस्थाएं सरकारी हैं, जिनमें स्कॉलरशिप घोटाले अथवा ऐसे अपराध की कोई गुंजाइश नहीं है। बाकि बची 266 निजी संस्थाओं में से सीबीआई ने केवल 28 संस्थाओं की जांच की। इन 28 संस्थानों ने कुल स्कॉलरशिप के 90 फीसदी हिस्सा का दावा किया था, जो 95 लाख से लेकर 39 करोड़ रुपए तक का सामने आया है। जांच के दौरान 20 निजी संस्थान घोटाले में संलिप्त पाए गए, आठ निजी संस्थानों को भी क्लीन चिट दे दी गई है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के पश्चात सीबीआई को अन्य बचे हुए निजी संस्थानों की जांच करने की संभावनाएं तलाशने के आदेश दिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App