चिलचिलाती गर्मी के बीच छुट्टी और चार किलोमीटर पैदल सफर

By: May 23rd, 2024 12:55 am

ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल की टाइमिंग बदलने से परेशानी झेलने को मजबूर हुए सरकारी स्कूलों के छात्र
निजी संवाददाता-गागल
मई महीने में तेज धूप के कारण तापमान में हुई अत्यधिक वृद्धि के चलते प्रशासन ने स्कूल टाइमिंग में परिवर्तन किया है। जिसके अंतर्गत स्कूल सुबह आठ बजे खुलते और दोपहर डेढ़ बजे बंद हो रहे हैं। परिवर्तन इस आशय के साथ किया गया है कि बच्चे स्कूल में गर्मी से परेशान न होने पाएं और दोपहर के बाद पडऩे वाली अत्यधिक गर्मी से बच सकें। यह व्यवस्था उन स्कूलों के बच्चों के लिए तो अच्छी है, जिनके परिसर से स्कूल बस उन्हें घर के आंगन तक पहुंचाती है, और बच्चा झट से घर में प्रवेश पा कर चिलचिलाती धूप और गर्मी से निजात पा लेता है। लेकिन उन बच्चों का क्या जिनको चिलचिलाती धूप में दोपहर के डेढ़ बजे अपने घर पहुंचने के लिए तीन चार किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ग्रामीण अंचलों के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले अधिकांश बच्चे स्कूल से पैदल ही अपने घर को जाते हैं। यही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के घर भी सडक़ से मीलों दूर होते हैं, जहां से बच्चे पैदल ही घर से स्कूल और स्कूल से घर को जाते हैं। लेकिन इस बदले हुए समयसारिणी के चलते गर्मी और धूप से इनकी परेशानी घटने की जगह और बढ़ गई है। पहले तीन बजे छुट्टी होती थी तो उस समय सूरज की धूप कुछ हद तक मंद पड़ जाती थी जिससे उन्हें कम परेशानी होती थी।

लेकिन अब डेढ़ बजे स्कूल से छुट्टी हो जाने पर भरी दोपहर में कडक़ती धूप में चलना पड़ता है। बल्ह उपमंडल के बहुत से बच्चे दूर दूर से स्कूल में पढऩे आते हैं। जिनमें से अधिकांश बच्चे दो से चार किलोमीटर पैदल चल कर जाते हैं। दोपहर को डेढ़ बजे चिलचिलाती धूप में सडक़ पर चलती पसीने से तरबतर किताबों से अपने सिर पर छाया करती छात्राओं बताया कि उनके घर स्कूल से लगभग तीन किलोमीटर दूर हैं। उन्हें मंगलवार से कडक़ती धूप में डेढ़ बजे पैदल अपने घर जाना पड़ता है। पहले तीन बजे छुट्टी होती थी तो इतनी तेज धूप भी नही लगती थी और लोगों का आना जाना भी सडक़ पर शुरू हो गया होता था। लेकिन अब तेज धूप में सभी लोग अपने घरों में दुबके होते हैं और हमे इस कडक़ती धूप सुनसान रास्तों पर पैदल चलना पड़ता है, जो बहुत कष्टप्रद होने के साथ खतरनाक भी महसूस होता है। बहरहाल, सरकार के फैसले से ग्रामीण परिवेश के छात्रों को ही मुश्किलों का सामना करना पड़ है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।


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