बड़सर चुनावों के लिए तैयार लेकिन सिविल अस्पताल बीमार

By: May 2nd, 2024 12:16 am

दान दी गई अल्ट्रासाउंड मशीन के बावजूद नहीं हो पा रहे अल्ट्रा सउंड, मरीजों को बाहर से करवाने पड़ रहे टेस्ट

निजी संवाददाता-बड़सर
बड़सर में स्वास्थ्य सेवाओं पर मीडिया के माध्यम से लगातार सवाल खड़े किए जाते रहे हैं लेकिन जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को शायद इससे कुछ लेना देना नहीं है। 18 महीने पहले सरकार बनने के बाद यहाँ दोबारा से विधायक को चुने जाने को लेकर कशमकश जारी है लेकिन अगर जनता को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं बात की जाए तो पिछले कई सालों से स्थिति सुधरने के बजाय बद से बदतर होती जा रही है। अब अस्पताल में रिक्त पड़ी नियुक्तियों को भरने मे आचार संहिता लगी होने की बात कही जा रही है लेकिन सवाल यह है कि इतने सालों में जब सरकारें सुचारू रूप से चल रही थीं तब यह नियुक्तिया क्यों नहीं की गयी।

सिविल अस्पताल बड़सर मे आम व गरीब जनता यहाँ इलाज के लिए भटकती नजऱ आती है। बड़सर उपमंडल में स्थित एक मात्र सिविल अस्पताल में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, और केवल एमबीबीएस डाक्टरों के सहारे अस्पताल चलाया जा रहा है । वहीं दान दी गई अल्ट्रासाउंड मशीन से टेस्ट करने के लिये भी महीने में दो दिन निर्धारित किए गए थे। जिससे मरीजों को महंगे दामों पर निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हैरानी की बात है कि। लगातार इस अस्पताल को 100 बेड बनाने की बात कही जाती रही है, और इसे अव्वल बनाने की बात कही जाती है । अस्पताल की बिगड़ती स्थिति के बारे में जब स्वास्थ्य अधिकारियों से सवाल पूछा जाता है तो इसे सरकार का अधिकार क्षेत्र बताया जाता है। और जब जनता के नुमाइंदों से बात की जाती है तो शीघ्र ही स्थायी नियुक्तियां और बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की बात की जाति रही है। अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर न होने के कारण लोग महंगे अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं।


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