Black Spotted Turtle: रेणुकाजी झील में दिखा काला चित्तीदार कछुआ
प्रदेश में लुप्त कछुए की प्र्रजाति दोबारा मिलने से वन प्राणी विभाग को बड़ी उपलब्धि
सुभाष शर्मा-नाहन
प्रदेश की पहली प्राकृतिक झील व रामसर साइट वैटलेंड श्रीरेणुकाजी में पहली बार काला चित्तीदार तालाब कछुआ देखा गया है। प्रदेश वन्य प्राणी विंग रेणुकाजी के कर्मचारियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय वैटलेंड रेणुकाजी में लुप्त हो चुके स्पॉटेड ब्लैक पांड टर्टल यानी जियोक्लेमिस हेमिल्टोनी को देखा गया है, जो कि प्रदेश व वन्य प्राणी विभाग के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। वन्य प्राणी अधिकरियों के अनुसार हैमिल्टन के टेरापिन के रूप में टर्टल की यह प्रजाति सिंधू, गंगा, व ब्रह्मपुत्र के जलनिकासी घाटियों के भीतर स्थिर मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र के लिए स्थानिक है।
वहीं भारत, नेपाल, बांग्लादेश व पाकिस्तान में यह चित्तीदार तालाब कछुओं की प्रजातियां पाई जाती है। वन्य प्राणी विभाग के शिमला के डीएफओ शहनवाज भट्ट ने बताया कि चितीदार तालाब कछुआ की पहचान काले सिर, पैर व पूंछ पर पीले व सफेद धब्बों से की गई है। उन्होंने बताया कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की 1972 की अनुसूची में यह कछुआ आता है। उन्होंने बताया कि चित्तीदार तालाब कछुआ लुप्तप्राय प्रजाति है।
वहीं अकसर शिकारियों के टारगेट पर रहतें है, जिसके लिए वन्य प्राणी विभाग ने भी प्रभावी सुरक्षा चक्र अपनाया है। रेणुकाजी झील में कई अन्य कछुओं की प्रजातियां जिसमें लुप्तप्राय भारतीय सॉफ्टशेेल, भारतीय छत वाले कछुए के साथ भारतीय काले कछुए व भारतीय फैलपषैल कछुए का भी महत्त्वपूर्ण स्थल है। -एचडीएम
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