अवसाद का कारण

By: May 4th, 2024 12:15 am

सद्गुरु जग्गी वासुदेव
मानसिक बीमारी पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है क्योंकि लोगों के पास मौजूद सारे सहारों को हम हटा ले रहे हैं, लेकिन हम उन सहारों को किसी चीज से बदल नहीं रहे हैं। अगर लोग अपने अंदर सचेतन और सक्षम बन जाते हैं, तब अगर आप सारे सहारों को हटा लें, तो हर चीज ठीक होगी…

अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे अब दुनिया के कई हिस्सों में तेजी से बढ़ते हुए लगते हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। इस पर आपके क्या विचार हैं? सद्गुरु- दिमागी रूप से बीमार होना कोई मजाक नहीं है। ये सबसे तकलीफदेह चीज है। अगर आपको शारीरिक बीमारी है, तो आपके लिए हर किसी में करुणा होती है, लेकिन अगर आपको मानसिक बीमारी है, तो दुर्भाग्य से आपकी हंसी उड़ती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अंतर करना कठिन है कि कब कोई व्यक्ति बीमार है और कब कोई मूर्खता कर रहा है। उन लोगों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है जिनके परिवार में कोई मानसिक रूप से विचलित है। आप नहीं जानते कि वो नाटक कर रहे हैं या वाकई तकलीफ में हैं। आप नहीं जानते कि कब करुणा रखें और कब उनके प्रति कठोर रुख अपनाएं।

मानवीय विवेक एक बहुत नाजुक चीज है। समझदारी और पागलपन के बीच की रेखा बहुत बारीक है। अगर आप उसे हर दिन धकेलते हैं, तो आप उसे पार कर जाएंगे। जब आप गुस्सा होते हैं, तो उसके लिए क्या अभिव्यक्ति इस्तेमाल होती है? आप पागलपन का थोड़ा बहुत मजा ले सकते हैं। आपने सीमा पार की और ये एक किस्म की आजादी या ताकत जैसी महसूस हुई। लेकिन एक दिन जब आप वापस नहीं लौट पाते, तभी पीड़ा शुरू होती है। ये शारीरिक कष्ट जैसी नहीं है। यह जबरदस्त पीड़ा होती है। मैं उन लोगों के आसपास रहा हूं, जो मानसिक बीमार थे, उनकी मदद करने की कोशिश कर रहा था। किसी को भी ऐसा नहीं होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, दुनिया में यह एक महामारी बनती जा रही है। मानसिक बीमारी क्यों बढ़ रही है- ऐसा पश्चिमी समाज में बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत ज्यादा पीछे रहने वाला नहीं है। भारत में खासकर शहरी समाज इस दिशा में बढ़ेंगे क्योंकि कई तरह से, शहरी भारत पश्चिम से ज्यादा पश्चिमी है। यहां पर अमरीका से ज्यादा लोग डेनिम पहनते हैं।

मानसिक बीमारी पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है क्योंकि लोगों के पास मौजूद सारे सहारों को हम हटा ले रहे हैं, लेकिन हम उन सहारों को किसी चीज से बदल नहीं रहे हैं। अगर लोग अपने अंदर सचेतन और सक्षम बन जाते हैं, तब अगर आप सारे सहारों को हटा लें, तो हर चीज ठीक होगी। लेकिन वह काबिलीयत दिए बिना, अगर आप सहारा हटा लेते हैं, तो लोग टूट जाएंगे। लंबे समय से हम अपनी मानसिक और भावनात्मक स्थिरता के लिए कुछ चीजों पर निर्भर रहे हैं। लेकिन अब, वो सब चीजें खत्म होती जा रही हैं। इसमें से एक चीज है परिवार। परिवार हमें एक खास सहारा देता है, चाहे जो भी हुआ हो, आपके लिए हमेशा कोई न कोई मौजूद होता था।


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