नसों की सूजन को न करें नजर अंदाज…जल्द करवाएं इलाज

By: May 2nd, 2024 12:15 am

वस्कुलर सर्जन डाक्टर रावुल जिंदल ने पांवटा में लोगों को दी सलाह; अलसर का बढ़ा खतरा, सर्जरी ही एकमात्र उपचार

कार्यालय संवाददाता-पांवटा साहिब
जांघों, पिंडलियों में नीले-लाल और बेंगनी रंग की नसों का उभरना, भारीपन और अकडऩ जैसे लक्ष्ण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें यह नसों के फूलने की बीमारी है। यह बात जाने माने वस्कुलर सर्जन डा. रावुल जिंदल ने पांवटा साहिब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही। जो कि बेरीकांज वेनस यानि नसों के फूलने की बीमारी एवं इसके उपचार में आए तकनीकी बदलाव संबंधी जागरूक करने के लिए शहर में पहुंचे थे। फोर्टिस अस्पताल में वस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर डा. रावुल जिंदल ने कहा कि नसों की सूजन को नजरअंदाज करना हानिकारक हो सकता है। इस तरह के लक्षण नजर आने पर इसका तुरंत उपचार करवाना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि कई बार पीडि़त मरीज द्वारा लगातार खुशकी करने से अल्सर भी हो सकता है। बीमारी के कारण पैर में तेज दर्द शुरू हो जाता है। मरीज अपना पैर हिला भी नहीं सकता। इस बीमारी का प्रमुख कारण लंबे समय तक खड़े रहना माना जाता है। उन्होंने कहा कि पहले बुजुर्गों व महिलाओं में ऐसी बीमारी के ज्यादा लक्षण देखने को मिलते थे, परंतु अब खराब जीवनशैली के कारण युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं में इस बीमारी के फैलने का कारण शारीरिक व्यायाम न करना तथा एक ही जगह पर घंटों बैठे रहना है। उन्होंने बताया कि ऐसी बीमारी का इलाज मात्र सर्जरी है तथा यदि पीडि़त व्यक्ति समय पर ऐसे अस्पताल पहुंचता है जहां माहिर डाक्टरों की टीम व उत्तम तकनीक मौजूद हो तो पीडि़त जल्द स्वस्थ हो सकता है।

लेजर एब्लेशन से किया जाएगा इलाज
डा. जिंदल ने बताया कि लेजर एब्लेशन का प्रयोग गंभीर वैरिकाज नसों के इलाज और फोम स्क्लेरोथेरेपी से उभरी हुई वैरिकाज नसों और स्पाइडर नसों का इलाज किया जाता है। वैरिकाज नसों के उपचार में नवीनतम तकनीकी प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए हुए डा. जिंदल ने कहा कि आधुनिक एडवांस्ड ट्रीटमेंट विकल्प कम दर्दनाक है और जल्दी ठीक होने को सुनिश्चित करते हैं। प्रक्रिया में लगभग 30 मिनट लगते हैं और रोगी प्रक्रिया के एक घंटे के भीतर घर जा सकता है। इसके अलावा रोगी को काफी कम दवाओं की जरूरत पड़ती है और उसे सिर्फ अपनी कुछ अतिरिक्त देखभाल करनी पड़ती है। डा. रावुल जिंदल व उनकी टीम प्रत्येक माह पहले बुधवार दोपहर तीन से पांच बजे तक आयोजित ओपीडी में मरीजों की जांच करते हैं।


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