मंडी सीट पर कांटे की रोचक टक्कर

By: May 15th, 2024 12:05 am

यहां तक कि वह विक्रमादित्य की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक मंचों पर उछाल रही हैं। विक्रमादित्य भी मंजे खिलाड़ी की तरह बड़ी संयत भाषा में प्रचार कर रहे हैं…

कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने मंडी में नामांकन परचा भर दिया है। इस अवसर पर जमा हुई भीड़ ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में न केवल जोश भर दिया, बल्कि भाजपा को भी ऐसा ही प्रदर्शन करने के लिए चनौती दी है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहेगा और तीसरे अभिकल्प या शक्ति की कोई गुंजाइश नहीं है। भाजपा की ओर से सिने अभिनेत्री कंगना रनौत और कांग्रेस के युवा आइकॉन और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच सीधी कांटे की टक्कर है और मुकाबला रोचक होने जा रहा है। कांटे की टक्कर इसलिए है कि कांग्रेस ने बहुत सोच-विचार के उपरांत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को पीछे करते हुए उनके बेटे विक्रमादित्य को चुनावी मैदान में उतार दिया। जाहिर है प्रतिभा सिंह और कंगना के बीच उम्र और राजनीतिक हैसियत के हिसाब से दिन-रात का अंतर था, लेकिन विक्रमादित्य सिंह की घोषणा से भाजपा भी अब डिफेन्स की मुद्रा में आ गई है। भाजपा मंडी के चुनावी रण को और भी गंभीरता से ले रही है। अब दोनों युवा प्रत्याशी मुकाबले को बराबरी का समझ रहे हैं। इस सीट पर चुनाव रोचक इसलिए भी कि जहां कंगना हो, वहां विवाद कैसे पीछे रह सकते हैं? चुनाव प्रचार में मतदाता और क्षेत्र की समस्याओं, मुद्दों से इतर एक-दूसरे पर छींटाकशी, कभी-कभी निजी जीवन को लेकर कुत्सित आरोप लोकतंत्र की गरिमा को आए दिन आहत कर रहे हैं।

कंगना की पार्टी के वर्कर इस बात को लेकर परेशां हंै कि न जाने अगले पल वह क्या बोल जाएंगी? इधर विक्रमादित्य इन गैर जरूरी पचड़ों में न फंसते हुए गंभीरता के साथ चुनाव की धार पैना रखे हुए हैं। चुनावी अभियान को जनता के मुद्दों से जोड़ कर गरिमा से चलाने का करिश्मा उन्होंने प्रारम्भिक दौर में ही दिखा दिया है। जाहिर है मतदाता उन्हें गंभीर उम्मीदवार मानने लगे हैं। कंगना को वैयक्तिक और गैर जरूरी बयानों से बचते हुए अपनी ही पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की इज्जत का भी ध्यान रखना होगा। कंगना ने प्रत्याशी बनते ही ऐलान कर दिया था कि राजा भैया तो बाहर के हैं! उनका तो घर भी मंडी में नहीं है। बाद में उन्हें ज्ञात हुआ होगा कि रामपुर में विक्रमादित्य का घर है और वह भी मंडी संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। ऐसी और भी बातें हैं जो भाजपा नेत्री/अभिनेत्री के सामान्य ज्ञान की ओर इशारा करती हैं। यह उदाहरण उनकी राजनीतिक समझ और हैसियत को बेनकाब करता है। यह ध्यान रखना होगा कि राजनीतिक मंच मनोरंजन नहीं, अपितु जनता के कल्याण और समस्याओं के संबोधन का मंच होता है। यह भी चर्चा गर्म है कि कंगना की जन्मभूमि तो मंडी है, परन्तु कर्मभूमि मुम्बई है। मतदाताओं में यह शंका घर कर गई है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव जीतने के बाद कंगना मैडम अभिनेता सन्नी देओल की तरह संसदीय क्षेत्र से ओझल न हो जाए? काम पडऩे पर जब लोग उनके पास जाते तो यह जवाब मिलता था कि कोंस्टीचुएंसी में अमुक आदमी के पास जाओ, वह मेरा रिप्रेजेन्टेटिव है। इस बात पर कंगना रनौत अपने लोगों को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई हैं।

विक्रमादित्य की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों हिमाचल है। वह पूर्णकालिक रूप से राजनीतिज्ञ हैं। जनता में सहज उपलब्ध हैं। विक्रमादित्य राजनीति को समाज सेवा के लिए माध्यम मानते हुए युवा कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष बने। दो बार वह विधायक होने के साथ वर्तमान में शहरी विकास मंत्रालय के केबिनेट मंत्री हैं। इस तरह विक्रमादित्य राजनीतिक बोध के हिसाब से कंगना से इक्कीस ही बैठते हैं। कंगना अभी राजनीति का ककहरा सीख रही हैं। अलबत्ता वह संसदीय क्षेत्र में अपनी परिचय यात्रा के दौरान इलाके विशेष की पोषाक, वेशभूषा धारण करके सेल्फी जरूर ले रही हंै, ताकि वहां के लोगों के साथ कनेक्ट कर सकें। भाजपा के विषय में यह जगजाहिर है कि वह साधारण सक्रिय कार्यकर्ता को भी बड़े अवसर प्रदान करती है और सीएम, मंत्री, प्रधानमंत्री बनाती है। इन चुनावों में संसदीय क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता लोकसभा टिकट के तलबगार थे, लेकिन टिकटों के चाहवान और उनके समर्थक ऊपर से थोपी गई कंगना को टिकट दिए जाने से अंदरूनी खाते संतुष्ट नहीं हैं और पर्यवेक्षकों का कहना है कि इधर का वोट उधर जाने से भी भाजपा को नुक्सान उठाना पड़ सकता है। नाराज चल रहे इन असंतुष्टों को साधना और साथ लेकर चलना पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए बड़ी चुनौती है। इसलिए मंडी सीट साधने के लिए वह कंगना के सारथी बनकर उनका चुनावी रथ हांक रहे हैं।

अभी यह दूर की बात नहीं है। 2021 के मंडी लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने मोदी लहर के बावजूद और जयराम ठाकुर की कथित डबल इंजन की सरकार के रहते जीत दर्ज की थी। यह सीट जीत कर प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस में संजीवनी फूंक दी थी। प्रधानमंत्री के ‘इस बार 400 पार’ के तिलिस्म को तोडऩे का बड़ा काम या बड़ी जिम्मेदारी विक्रमादित्य के कन्धों पर है। विक्रमादित्य जानते हंै कि मंडी सीट को उनके यशस्वी पिता वीरभद्र सिंह ने और माता प्रतिभा सिंह ने बड़े यत्न से सींचा है और सेवा भाव से मंडी की जनता का प्रतिनिधित्व किया है। इस विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर विक्रमादित्य अब खोना नहीं चाहेंगे। यही कारण है कि वह बड़ी संजीदगी के साथ आगे बढ़ते नजर आते हैं। चुनाव प्रचार के हर दिन के साथ-साथ कंगना रनौत भी अब अपनी पार्टी की चिर-परिचित लाइन पर आगे बढ़ती दिख रही हैं। वह बड़ी आसानी व सहजता के साथ विक्रमादित्य पर रजवाड़ाशाही, परिवारवाद, वंशवाद आदि शब्दावली की बौछार कर देती हैं। यहां तक कि वह विक्रमादित्य की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक मंचों पर उछाल रही हैं। विक्रमादित्य भी मंजे खिलाड़ी की तरह बड़ी संयत भाषा में सभ्याचार के साथ कंगना को मतदाताओं के असली मुद्दों की बिसात में चुनावी रण में घेर रहे हैं। भाजपा इन चुनावों में एक बार फिर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा, सनातन धर्म, हिंदुत्व, राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर, पाकिस्तान, मुसलमान, आरक्षण आदि मुद्दों को भी हिमाचल में खूब उठाने का प्लान कर रही है। उधर कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य पूर्व भाजपा सांसदों को संसद में प्रदेश के हितों को न उठा पाने पर खूब घेर रहे हैं। बहरहाल लोकसभा की इस सीट पर कांटे की रोचक टक्कर होगी, हार-जीत का अंतर कम होगा।

डा. देवेंद्र गुप्ता

स्वतंत्र लेखक


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