वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के बीच से गुजरती हैं छह नदियां

By: Mar 29th, 2017 12:05 am

ऐसी नदियों में से वेदों में निम्न नदियों का विशेष रूप से उल्लेख आया है-इन नदियों में से यमुना, अंतः सलिला सरस्वती, शुतुद्रि (सतलुज) परूष्णी (रावी), असिकनी (चिनाब), आर्जिकीया (ब्यास), छह नदियां वर्तमान हिमाचल प्रदेश में से गुजरती हैं…

प्रागैतिहासिक हिमाचल

एक श्लोक के अनुसार हिमालय से निकलने तथा सिंधु से मिलने वाली सरिताएं हमें दिव्य औषधियां प्रदान करें। यहां अथर्ववेद में प्रयुक्त हिमवंत शब्द को हिमालय के पर्यायवाची के रूप में  मानने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि हिमवंत ऐसी नदियों का उद्गम स्थान बताया गया है जो  समुद्र से मिलती हैं और साथ ही उसे ऐसा स्थान भी बताया गया है, जहां  बहुमूल्य औषधियां उत्पन्न होती हैं। ऐसी नदियों में से वेदों में निम्न नदियों का विशेष रूप से उल्लेख आया है-इन नदियों में से यमुना, अंतः सलिला सरस्वती, शुतुद्रि (सतलुज) परूष्णी (रावी), असिकनी (चिनाब), आर्जिकीया (ब्यास), छह नदियां वर्तमान हिमाचल प्रदेश में से गुजरती हैं। शेष गंगा, मरूद्वृधा (चिनाब और जेहलम के बीच कश्मीर-किश्तबाड़ क्षेत्र की मरूवर्द्धन नामक नदी) देश के अन्य क्षेत्रों से बहती है। वर्तमान हिमाचल प्रदेश की स्थापना स्वतंत्र भारत की देन है, जब 15 अप्रैल, 1948 को 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों का विलीनीकरण करके हिमाचल प्रदेश का ‘सी’ वर्ग की प्रशासनिक इकाई के रूप में गठन किया गया था। इनमें चंबा, रामपुर बुशहर, मंडी, सुकेत सिरमौर जैसी बड़ी रियासतें भी थीं और देलठ (क्षेत्रफल 8 वर्ग मील), ढाड़ी (7 व.मी.), दरकोटी (5 व.मी.), घूंड (9 व.मी.), कुनिहार (7 व.मी.) और रतेश (2 व.मी.) जैसी छोटी ठकुराइयां भी थीं। 1954 में बिलासपुर रियासत भी हिमाचल के साथ मिली और प्रथम नवंबर, 1966 को पंजाब का पहाड़ी क्षेत्र कांगड़ा, कुल्लू, शिमला और लाहुल-स्पीति आदि को इसमें सम्मिलित कर इसका विशाल हिमाचल के रूप में गठन किया गया। राजनीति और प्रशासन की इस नई इकाई का प्रारंभिक इतिहास ढूंढना सहज नहीं है, विशेषतया ऐसी स्थिति में जब लिखित और पुरातात्विक स्रोत-सामग्री का अभाव हो। फिर भी इस क्षेत्र से संबंधित वैदिक, पौराणिक और  अन्य साहित्यिक संदर्भों से यहां के समय की राज्य प्रणाली, शासन-व्यवस्था और सामाजिक गठन का पता लगाया जा सकता है। ऋग्वेद में अनेक स्थानों पर आर्य नेता दिवोदास और दस्यु राजा शंबर के बीच 40 वर्षों तक भयंकर युद्ध का उल्लेख आता है। यह युद्ध मैदानों में नहीं, पहाड़ों पर हुआ था और दस्यु समुदाय में वे लोग शामिल थे, जो पहाड़ों के मूल निवासी थे। वे कोल, किरात और खश आदि के नाम से जाने जाते थे। शंबर को पर्वत का राजा कहा गया है, जिस का राज्य परूणी(रावी) नदी से पूर्व शुतुद्रि (सतलुज) नदी क्षेत्र से आगे तक फैला था, जहां उसके पत्थरों के बने हुए सौ पुर अर्थात दुर्ग स्थित हैं। यह सारा पहाड़ी क्षेत्र वर्तमान हिमाचल प्रदेश में पड़ता है। यहीं आर्यों के देव इंद्र ने शंबर को पहाड़ पर ढूंढ कर मार डाला था।


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