कोरोना जंग में जल विभाग की मुश्किलें

By: Apr 1st, 2020 12:06 am

कंचन शर्मा

लेखिका, शिमला से हैं

 

इस कर्फ्यू के समय में जल शक्ति विभाग बहुत सी मुश्किलों के बावजूद दिन-रात पानी की बहाली में सुचारू रूप से डटा है। प्रशासन का भी बराबर सहयोग है। कर्फ्यू पास, पहचान कार्ड फील्ड स्टाफ  को दिए जा रहे हैं, बावजूद इसके उपमंडल ऊहल के कर्मचारियों  के साथ हुए दुर्व्यवहार से फील्ड स्टाफ  में भारी रोष है…

एक ओर जहां संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस की महामारी की चपेट में है, वहीं दूसरी ओर डाक्टर, पत्रकार, पुलिस, प्रशासन और जल शक्ति विभाग अपनी जान की परवाह किए बगैर दिन-रात जन सेवा में डटे हैं जो कि मानवता की सेवा व जनरक्षा के लिए बहुत बड़ी बात है। गौरतलब है कि इस भयंकर जानलेवा वायरस से बचने का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है, ऐसे में सभी अगर घरों में लॉकडाउन हो जाएंगे तो पानी जो सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है, उसकी निरंतर बहाली अत्यावश्यक हो जाती है। पानी के बगैर  घरों में लॉकडाउन लोग दैन-दिन्य की जरूरतें पूरी नहीं कर सकते, डाक्टर्स मेडिकल सुविधाएं नहीं दे सकते, पुलिस कर्मी बाहर सड़कों पर अपने कार्य संचालित नहीं कर सकते, बड़ी-बड़ी संस्थाएं इस महामारी में पलायन करते जनमानस को भोजन की व्यवस्था नहीं करवा सकती।

स्वच्छता बरकरार रखना, बार-बार हाथ धोने का आग्रह और खेत खलिहान, पौध, सिंचाई, ये सब पानी के बगैर असंभव है। ऐसे में जल शक्ति विभाग बहुत सी मुश्किलों के बावजूद दिन-रात पानी की बहाली में सुचारू रूप से डटा है। प्रशासन का भी बराबर सहयोग है। कर्फ्यू पास, पहचान कार्ड फील्ड स्टाफ  को दिए जा रहे हैं, बावजूद इसके उपमंडल ऊहल के कर्मचारियों  के साथ हुए दुर्व्यवहार से फील्ड स्टाफ  में भारी रोष है। हालांकि इसके बावजूद विभाग उनको अपना कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए मोटिवेट कर रहा है और वे आज भी अपने-अपने कार्य में निकले है, इस आश्वासन के साथ कि विभाग उनको दिक्कत नहीं आने देगा।

हालांकि इतनी बड़ी जंग में इस तरह की घटनाएं घटित होती रहती हैं, फिर भी हमें यह तय करना जरूरी है कि एसेंशियल सर्विसेज देने वालों के प्रति सम्मानजनक रवैया जरूरी है, फिर वह चाहे किसी भी फील्ड से हो। हां, उन्हें एहतियात देना जरूरी है मगर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाकर नहीं, इससे मुश्किलें बढ़ती हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के चलते यह बहुत बढि़या बात है कि पुलिस कर्मी पब्लिक के साथ सख्ती से पेश आ रहे हैं, लेकिन सख्ती से पहले उन्हें एक बार किसी भी विभाग के कर्मचारियों की स्थिति का अवलोकन अत्यावश्यक है। कोरोना वायरस के चलते एकदम कर्फ्यू, लॉकडाउन होने से आइडेंटिटी कार्ड  इश्यू करने में भी दिक्कत आई, मगर व्हाट्सएप व ईमेल के चलते यह काम त्वरित गति से हो पाया। बड़ी दिक्कत यह भी है कि फील्ड स्टाफ  जैसे मैन फिटर, पंप आपरेटर आदि जो स्कूटर, मोटरसाइकिल या निजी वाहनों में दूरस्थ स्कीम पर निकलते थे निजी वाहन बंद होने से उन्हें मुश्किल आ रही है, फिर भी वह जैसे-तैसे करके स्कीम पर पहुंच कर पानी उठा रहे हैं। यही नहीं कहीं पानी की पाइप लाइन ठीक करनी हो उसके लिए भी दो-तीन कर्मचारियों को साथ चलना पड़ता है।

मैं स्वयं जल शक्ति विभाग में अधिशाषी अभियंता होने के नाते इस बात को भली-भांति समझती हूं कि इस कालचक्र में फील्ड स्टाफ  को मोटीवेट कर पानी की बहाली व स्वयं अपनी सुरक्षा व निजी स्वच्छता के लिए प्रेरित करते रहने में बहुत ऊर्जा व सूझबूझ से चलना पड़ रहा है जो स्वयं अपनी उपस्थिति दर्ज करवाए बगैर मुश्किल है और ऐसे में पूरा विभाग अपने-अपने हैडक्वार्टर में मुस्तैद हैं। कार्यालय, पंप हाउस सेनेटाइज करवाए जा रहे हैं। फील्ड स्टाफ को मास्क, गलब्ज देकर पहनने की हिदायत दी जा रही है, उन्हें अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर दूर-दूर रहकर काम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, पानी के टैंकों की सफाई करवाई जा रही है, क्लोरीनेशन सुचारू रूप से चल रही है, प्राकृतिक स्त्रोतों की सफाई करवाई जा रही है।

लॉकडाउन के चलते पहले ही जल शक्ति विभाग की मुश्किलें बढ़ी हैं। प्रदेश में हजारों लिफ्ट स्कीमें हैं जिनमें कहीं न कहीं मैंटीनेंस का काम चला रहता है। मशीन खराब होने की स्थिति में मशीनों को रिपेयर के लिए वर्कशॉप ले जाना होता है जिसके लिए एक साथ चार-पांच लोगों की जरूरत होती है जिसमें मेकेनिक, लेबर, कांट्रैक्टर की सहभागिता तो है ही साथ में वर्कशॉप का खुला होना भी आवश्यक है। ऊपर से पंपिंग मशीनरी बहुत भारी-भरकम होती है। यही नहीं नई मशीनरी इंटर डिस्ट्रिक्ट या इंटर स्टेट के आवागमन से ही संभव है। ऐसे में अगर मशीनरी ठीक नहीं हो पाई तो कंज्यूमर विभाग को फोन करता है और कोई भी कोरोना की वजह सुनने को तैयार नहीं होता क्योंकि पानी के रुकने से जीवनयापन की व्यवस्था रुक जाती है। जबकि लॉकडाउन के चलते यह सब मुश्किल हो रहा है।

लेबर धीरे-धीरे पलायन कर रही है। हां, विभाग का फील्ड स्टाफ  हर  स्थिति में समर्पित है। जरूरी है कि उन्हें इस बात की  तसल्ली मिल जाए कि पानी की बहाली या पाइप लाइन ठीक करवाने या पंप हाउस के कार्यों के चलते पुलिस वालों से सहयोग मिले जबकि वे विभाग द्वारा बार-बार के दिशा-निर्देशों के चलते कोरोना वायरस जंग में सभी एहतियात बरतते हुए कार्य कर रहे हैं। इस जंग में विभाग सभी चिकित्सकों को सैल्यूट करता है जो अपनी जान जोखिम में डालकर मानवता की रक्षा कर रहे हैं। मानव सेवा में तत्पर सफाई कर्मचारियों के हम सब धन्यवादी हैं जो इस कुत्सित घड़ी में पूरी धरती की सेवा कर रहे हैं। पत्रकार, पुलिस, ट्रैफिक और सबसे ऊपर प्रशासन जिसके कंधों पर हर एक विभाग, वर्ग व जन सामान्य की व्यवस्था की जिम्मेदारी आती है, नमन आप सबको।


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