11.70 करोड़ का घोटाला कम नहीं

By: Aug 9th, 2020 12:20 am

उच्च न्यायालय ने की तल्ख टिप्पणी; कोर्ट में जवाब दायर नहीं कर पाए पंजीयक, सहकारी सभाएं और एसपी

गगरेट – कृषि सहकारी सभा दियोली में हुए महाघोटाले के मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा तलब किए गए एसपी ऊना व पंजीयक, सहकारी सभाएं अपना जवाब दायर नहीं कर पाए हैं। उच्च न्यायालय द्वारा एसपी ऊना व पंजीयक सहकारी सभाएं से सात अगस्त को उच्च न्यायालय में अपना जवाब दायर करने को कहा था, लेकिन दोनों आला अधिकारी उच्च न्यायालय द्वारा तय तारीख पर अपना जवाब दायर नहीं कर पाए।

उच्च न्यायालय ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हिमाचल जैसे छोटे से प्रदेश में ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए का घोटाला छोटा घोटाला नहीं है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने अब दोनों आला अधिकारियों को चौदह अगस्त को अपने जवाब के साथ उच्च न्यायालय में तलब किया है। कृषि सहकारी सभा दियोली में सहकारिता विभाग द्वारा करवाए गए ऑडिट में ही ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए का घोटाला उजागर हुआ था।

इसके बाद सहकारिता विभाग द्वारा बाकायदा इसकी शिकायत गगरेट पुलिस के पास करते हुए मामला दर्ज करवाया था। हालांकि सहकारिता विभाग ने भी इस मामले में अपनी कार्रवाई शुरू की थी तो गगरेट पुलिस भी मामले की जांच में जुटी हुई थी, लेकिन करीब एक साल का समय बीत जाने पर भी मामले का पटाक्षेप नहीं हो पाया था। न तो सहकारिता विभाग इस मामले में किसी को दोषी ठहराते हुए उसकी संपत्ति सील कर पाया था और न ही पुलिस विभाग इस मामले में अपनी जांच पूरी करके इस मामले का चालान न्यायालय में पेश कर पाया था।

उधर सभा के खाताधारक न्याय न मिल पाने के कारण आक्रोश में थे। इसी बीच विभागीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के चलते सभा की प्रबंधन समिति इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय की शरण में चली गई और मामले का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय द्वारा पंजीयक, सहकारी सभाएं और एसपी ऊना से सात अगस्त को जवाब तलब किया था। मामला उच्च न्यायालय के संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने इस मामले की जांच तो शुरू की, लेकिन सात अगस्त को न तो पुलिस विभाग अपना जवाब दायर कर पाया और न ही पंजीयक, सहकारी सभाएं जवाब दे पाए। इस पर उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए के घोटाले को कम नहीं आंका जा सकता।

उच्च न्यायालय ने दोनों विभागों को चौदह अगस्त तक जवाब दायर करने के निर्देश दिए हैं। उच्च न्यायालय में प्रबंधन समिति की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अजय शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उच्च न्यायालय ने दोनों विभागों को चौदह अगस्त को अपना-अपना जवाब दायर करने को कहा है।


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