सैन्यबलों में जारी रहे व्यभिचार पर सजा, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर की अपील
दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली
व्यभिचार कानून से जुड़ा मामला एक बार फिर देश की सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। केंद्र सरकार ने अदालत में एक याचिका दाखिल करते हुए अपील की है कि सर्वोच्च अदालत ने जो फैसला व्यभिचार कानून रद्द करने को लेकर दिया था, उसे सशस्त्र बलों में लागू न किया जाए। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया है। नोटिस जारी करते हुए सर्वोच्च अदालत ने इस मामले को चीफ जस्टिस एसए बोबड़े के पास भेजा है, जिसमें इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ में सुनने की अपील की गई है। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा दलील दी गई है कि सशस्त्र बलों में एक कर्मचारी को सहकर्मी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने के लिए असहनीय आचरण के आधार पर सेवा से निकाला जा सकता है। ऐसे में जो फैसला दिया हुआ था, उसे वहां न लागू किया जाए।
बुधवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने केंद्र की याचिका पर ये नोटिस जारी किया है। बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने व्यभिचार कानून को खत्म किया था। तब आदेश में कहा गया था कि ये अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा, लेकिन किसी तलाक का आधार बन सकता है। गौरतलब है कि पहले धारा 497 के तहत व्यभिचार अपराध था, जिसके अंतर्गत उन पुरुषों को पांच साल की सजा का प्रावधान था, जो किसी विवाहित महिला के साथ, उसकी सहमति से या बगैर सहमति के संबंध बनाता है। हालांकि, वह भी तब, जब महिला के पति द्वारा इस मामले की शिकायत, सबूत के साथ दर्ज कराई जाए।
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