हरियाणा में बढ़े बाल विवाह के मामले, बीते तीन साल से आंकड़ों में धड़ाधड़ बढ़ोतरी, देश भर में 15वां स्थान
चंडीगढ़, अक्तूबर (ब्यूरो)
हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जिसके खिलाडिय़ों ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है और जिसकी पहचान देश के एक उन्नत औद्योगिक राज्य के रूप में होती है, लेकिन इसी राज्य की एक और तस्वीर है, जो चिंताजनक है। आधिकारिक आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि राज्य में पिछले तीन साल में बाल विवाह के मामलों में इजाफा हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि बाल विवाह के मामले में हरियाणा देशभर में 15वें स्थान पर है। पिछले दिनों भले ही हरियाणा सरकार ने बाल विवाह को ‘शून्य’ घोषित करने का कानून बनाया है, लेकिन भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के अनुसार बाल विवाह के मामले में राज्य का देश में 15वां स्थान है। इसी जनगणना के अनुसार राज्य में 2,47,860 बाल विवाह हुए हैं। यह देश के कुल बाल विवाह का दो प्रतिशत हैं। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा यहां आयोजित ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान में जुटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने हरियाणा की इस स्थिति पर चिंता जाहिर की। साथ ही सरकार से अपील की कि नए कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और बाल विवाह की सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म किया जा सके। इस संबंध में केएससीएफ ने चंडीगढ़ के हरियाणा निवास में राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ एक सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें ‘बाल विवाह’ पर कैसे लगाम लगाई जाए, इस पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
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