भूपिंदर सिंह

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक भारतीय खेल प्राधिकरण अपने यहां चुनिंदा प्रतिभावान खिलाडि़यों पर सालाना औसतन दो लाख रुपए प्रति खिलाड़ी खर्च करता है। खेल छात्रवासों के अधिकतर खिलाड़ी हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पदक देने की बात तो दूर रही मगर वे अपना नाम राज्य की पदक तालिका में नहीं लिख पाते हैं, मगर

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक   इसमें कोई संदेह नहीं कि ओलंपिक खेलों की लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ खेलों में राष्ट्रीयता की भावना में बढ़ोतरी हुई है। आज अधिक से अधिक देश ओलांपिक खेलों में भाग ले रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप काफी कठिन खेल प्रतियोगिताएं हो गई हैं। इसके लिए विकसित देशों ने भविष्य के

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक 20 जुलाई, 1945 को हमीरपुर जिला के भरेड़ी डाकघर के खरीयंणी गांव में स्वर्गीय दुर्गा राम शर्मा व सैना देवी शर्मा के घर जन्मे इस हमेशा हंसमुख, जिंदा दिल इनसान व भारत के बेहतरीन वालीबाल प्रशिक्षक विद्यासागर शर्मा की मैट्रिक राजकीय हाई स्कूल भोरंज से हुई। यहीं पर इनके पिता

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला की कनीजों ने पांच हजार व दस हजार मीटर की दौड़ को सम्मानजनक समय में दौड़ते हुए धर्मशाला को दो स्वर्ण पदक दिलाए। इन चार मध्य व लंबी दूरी की स्पर्धाओं में हिमाचली धाविकाएं अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में पदक जीत सकती हैं… धर्मशाला के

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हिमाचल के धावकों व धाविकाओं ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबी व मध्य दूरी की दौड़ों में काफी नाम कमाया है, मगर तेज गति की दौड़ों में हिमाचल को काफी पिछड़ा माना जाता था। कई बार तो प्रशिक्षक कहते थे हिमाचल में स्प्रिंटर नहीं हो सकते हैं… एथलेटिक्स सभी

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक अंब उपमंडल के पोलिया पुरोहिता गांव के जीवन शर्मा आज देश के सबसे बड़े प्रतिष्ठित प्रशिक्षकों के पुरस्कार द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित हैं। इनके पिता भारतीय सेना में नौकरी में होने के कारण इनकी प्रारंभिक शिक्षा जबलपुर में हुई। बाद में चिंतपूर्णी से मैट्रिक करते समय एक दिन चचेरे भाई

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक 1982 एशियाई खेलों के लिए बने स्टेडियमों के रखरखाव के लिए बने भारतीय खेल प्राधिकरण में राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान का विलय हो जाने के बाद अब देश में खेलों की सबसे बड़ी संस्था साई ही है। भारतीय खेल प्राधिकरण बनने के बाद देश में बहुत से खेल छात्रावास सुविधा व

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक फुटबाल संघ का इतिहास 1974 से हिमाचल में शुरू होता है जब सुकेत के राजा ललित सेन को अध्यक्ष तथा चेतराम वर्मा को महासचिव बनाया गया था। इसी वर्ष एएन तिवारी की कप्तानी में हिमाचल प्रदेश की टीम ने रोजर कप कोलकाता में प्रतिनिधित्व किया था। उस समय मंडी, धर्मशाला,

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक केंद्रीय विभाग व अन्य राज्यों में खेल आरक्षण से नौकरी लगे खिलाडि़यों को कम से कम नौकरी प्राप्त करने के बाद अगले पांच वर्षों तक अपने विभाग व देश के लिए खेलना अनिवार्य होता है। मगर हिमाचल में ऐसा कोई नियम न होने के कारण खिलाड़ी, कर्मचारी या अधिकारी बहुत