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सदगुरु  जग्गी वासुदेव आज की अर्थव्यवस्था में आप पार लग जाएंगे अगर यहां आप हैं और मैं हूं तो मेरा आप से ज्यादा स्मार्ट होना अच्छा हो सकता है, लेकिन यदि यहां पर सिर्फ  मैं और मैं ही हूं तो मेरा अपने आप से ज्यादा स्मार्ट होना बेवकूफी ही है, लेकिन बुद्धि का स्वभाव अलग

श्रीश्री रवि शंकर प्रत्येक मनुष्य को ध्यान की आवश्यकता है, क्योंकि लोगों की यह एक प्राकृतिक चाहत होती है कि ऐसा आनंद मिल जाए जो कभी समाप्त न हो, ऐसा प्रेम प्राप्त हो जाए जो कभी विकृत न हो और न ही नकारात्मक भावनाओं में बदले। यह सब रहस्य उन लोगों के सामने खुल जाते

ओशो  मानवता के लिए गौतम बुद्ध का मौलिक संदेश यह है कि आदमी सुसुप्तावस्था में है। आदमी पैदा ही सुसुप्तावस्था में हुआ है। गौतम बुद्ध साधारण नींद के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि वो आध्यात्मिक नींद के बारे में बात कर रहे हैं। ये नींद गहरी और अचेत अवस्था में आपके अंदर

रहस्यमयी, विचित्र और भयानक प्राणियों की सूची में सातवां नाम है ‘गॉटमैन’। बकरी और इनसान के फीचर्स लिए हुए यह विचित्र प्राणी अमरीका में देखा गया था। इसके बारे में पहली बार रिपोर्ट 1957 में आई थी। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसने बालों और सींग वाले एक दैत्य जैसे दिखने वाले प्राणी को देखा

गतांक से आगे… आचार्य शंकर विजयी होकर जब वहां से जाने लगे, तो उभय भारती ने उन्हें रुकने के लिए कहा। हे विद्वान! मेरे पति की पराजय अभी पूर्ण नहीं हुई है। शास्त्र में पत्नी को पति की अर्द्धांगिनी कहा गया है और पत्नी अर्थात मैं अभी पराजित नहीं हुई हूं। अतः अब पूर्ण विजयी

हे मैत्रेय जी! श्रेष्ठ भवनों से सुशोभित वहां के धरातल शुक्ल, कृष्ण अरुण पीत शकगमनी शैली अथवा स्वर्णिम है। दानव दैत्य, यक्ष और महानागर आदि की सैकड़ों जातियां उनमें रहती हैं… शुक्लकृष्णाः पींताः शर्कराः शैलकांचनाः। भुमयो यत्र मैत्रेय वरप्रासादमंडिता।। तेष दानवादैतेया यज्ञांच शतस्तथा। निवर्सांत महानागजातयश्च महामुने।। श्रीपराशरजी ने कहा, हे द्विज! इस पृथ्वी का विस्तार

ऐसे प्रभु विश्वकर्मा को उन्होंने बैठा हुआ देखा। उन प्रभु के चारों ओर अनेकों ऋषि दोनों हाथ जोड़कर खड़े हुए प्रभु की अनेक वेद मंत्रों से स्तुति कर रहे थे। उनके सामने सनकादि पांच ब्रह्मर्षि ध्यानस्त बैठे हुए हैं तथा अनेक देव-देवी उन प्रभु की सेवा में हाजिर खड़े हुए हैं। इस प्रकार के अलौकिक

कश्यप के पुत्र रूप में उत्पन्न ये एकादश रुद्र महान बल पराक्रम से संपन्न थे, इन्होंने संग्राम में दैत्यों का संहार कर इंद्र को पुनः स्वर्ग का अधिपति बना दिया। ये शिव रूपधारी एकादश रुद्र अब भी देवताओं की रक्षा के लिए स्वर्ग में विराजमान रहते हैं। भगवान रुद्र मूलतः तो एक ही हैं तथापि

28 अप्रैल रविवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, नवमी, पंचक प्रारंभ 29 अप्रैल सोमवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, दशमी 30 अप्रैल मंगलवार, वैशाख,  कृष्णपक्ष, एकादशी, वरूथिनी एकादशी व्रत 1 मई बुधवार,  वैशाख,  कृष्णपक्ष, द्वादशी 2 मई बृहस्पतिवार, वैशाख,  कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, प्रदोष व्रत 3 मई शुक्रवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी, पंचक समाप्त 4 मई शनिवार, वैशाख, कृष्णपक्ष, अमावस, शनैश्चरी अमावस