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शूलिनी देवी को भगवान शिव की शक्ति माना जाता है। कहते हैं जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से सभी देवता और ऋषि-मुनि तंग हो गए थे, तो वे भगवान शिव और विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी थी। तो भगवान शिव और विष्णु के तेज से भगवती दुर्गा प्रकट हुई थी। जिससे

यूं तो संपूर्ण उज्जैन पौराणिक गाथाओं के पृष्ठों से अलंकृत है, किंतु इन पृष्ठों में भी कुछ ऐसे पृष्ठ हैं जो एक साथ श्रद्धा, कौतूहल और आनंद की अनुभूति कराते हैं। इन्हीं में से एक है श्री हरसिद्धि देवी का मंदिर। उज्जैन की इस प्राचीन शक्तिपीठ का वर्णन स्कंदपुराण में है। इसी स्थल पर दक्ष

मंदिर में देवी दुर्गा की एक भव्य प्रतिमा विराजमान है, जिनकी पूजा-अर्चना के लिए सालभर लोगों की भीड़ जुटी रहती है। दुर्गा पूजा के समय उस प्रतिमा के आगे मां दुर्गा की अलग से भी एक प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है… नवगछिया के तेतरी गांव स्थित शक्तिपीठ तेतरी देवी मंदिर का इतिहास 423

7 अप्रैल रविवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, द्वितीया 8 अप्रैल सोमवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, तृतीया, गणगौरी तृतीया 9 अप्रैल मंगलवार, चैत्र,  शुक्लपक्ष, चतुर्थी 10 अप्रैल बुधवार,  चैत्र,  शुक्लपक्ष, पंचमी, नाग पंचमी 11 अप्रैल बृहस्पतिवार, चैत्र,  शुक्लपक्ष, षष्ठी, स्कंद षष्ठी व्रत 12 अप्रैल शुक्रवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, सप्तमी 13 अप्रैल शनिवार, चैत्र, शुक्लपक्ष, अष्टमी, दुर्गा अष्टमी, रामनवमी

साधना के लिए जिस स्थान का प्रयोग किया जाना हो, वह गंदा या अपवित्र नहीं बल्कि शुद्ध होना चाहिए। उस स्थान को पहले गोबर या पानी से तथा बाद में गुलाबजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। फिर अगरबत्ती या धूप बत्ती जलानी चाहिए। ऐसा स्थान एकांत तथा शांत हो, कोई भय या खटका न

जीवन एक वसंत/शहनाज हुसैन किस्त-1 सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी

नीति, धर्म, मनुष्यता और ईश्वरीय विधान की सुस्थिरता की दृष्टि से ऐसे प्रयोगों का किया जाना नितांत अनुचित और अवांछनीय है। यदि इस प्रकार की गुप्त हवाओं का तांता चल पड़े तो उससे लोक व्यवस्था में भारी गड़बड़ी उपस्थित हो जाए और परस्पर के सद्भाव एवं विश्वास का नाश हो जाए। हर व्यक्ति दूसरों को

मत्स्य जयंती  चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन मत्स्य अवतार में विष्णु की पूजा की जाती है। जब संसार को किसी प्रकार का खतरा होता है तब भगवान विष्णु अवतरित होते हैं। ब्रह्मांड की आवधिक विघटन के प्रलय के ठीक पहले जब प्रजापति ब्रह्मा के मुंह से

विश्व विख्यात नर्तकी अन्नापावलोवना की मृत्यु-स्मृति में उसकी शिष्या ने एक नृत्य समारोह आयोजित किया तो उसकी मृतात्मा भी साथ-साथ नृत्य कर रही थी। दर्शकों ने उसे अपनी आंखों से देखा। इटली के प्रसिद्ध वायलिन वादक पागगिनी की मृत्यु स्मृति में आयोजित समारोह में मृतात्मा का प्रिय वायलिन स्वयं ही बज उठा और आवाजें आई