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कहानी स्कूल बस से मैं समय पर स्कूल पहुंच गई। प्रिंसीपल ने नए विद्यार्थियों का स्वागत किया। सभी विद्यार्थियों को तिलक लगाकर उनकी आरती भी उतारी गई। उन्होंने प्यार से मेरी पीठ थपथपाई। सभी बच्चों के चेहरों पर मुस्कराहट थी और कक्षा में भी उत्साह का वातावरण था… मैं आठवीं कक्षा का विद्यार्थी हूं। इसी

किल्लाड़ चिनाब नदी की एक गहरी और तंग खड्ड में स्थित है। इस तक साच दर्रे द्वारा पहुंचा जा सकता है। बहुत से कठोर पर्वतारोहियों की यह इच्छा होती है कि वे आकर्षक चेहरों, सुंदर नृत्यों और शोभायुक्त प्रदेशों की यात्रा करें… गतांक से आगे … किल्लाड़ पांगी उपमंडल का मुख्यालय किल्लाड़ चिनाब नदी की

औदुंबरों के सिक्कों पर वृषभ, त्रिशूल तथा कुठार के रूप अंकित हैं जो शैव धर्म से संबंधित हैं। वृषभ, भगवान शिव का वाहन है और अन्य दो प्रतीक उसके अस्त्र हैं। इनसे शैव धर्म का प्रचार और उसकी लोकप्रियता स्पष्ट प्रकट होती है। सिक्कों पर ऐसे अभिलेख लिखाए मिलते हैं, जिनमें शिव के विभिन्न नाम

चतर सिंह की मृत्यु हुई तो उसका बड़ा पुत्र उदय सिंह राजा बना। जय सिंह, जो उसके पिता चतर सिंह के समय मंत्री था, उसी प्रकार कार्यभार चलाता रहा। जब तक जय सिंह जीवित रहा, राज्य का कामकाज ठीक ढंग से चलता रहा और राज्य सभी प्रकार से समृद्ध था। इसी काल में गुलेर के

मंदिरा बेदी जन्मदिन 15 अप्रैल जन्मः  15 अप्रैल, 1972, कोलकाता पतिः      राज कौशल बच्चेः      वीर शिक्षाः कैथेड्रल एंड जॉन केनन स्कूल, सेंट जेवियर्स कॉलेज मंदिरा बेदी एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, टीवी अदाकारा टीवी प्रस्तोता हैं।  पृष्ठभूमि मंदिरा बेदी का जन्म 15 अप्रैल , 1972 को कोलकाता में हुआ था।  उनके पिता का नाम

आतिशबाजी का विकास सातवीं सदी के चीन में हुआ। चीन में पायरोटेक्नीक या आतिशबाजी को कला की शक्ल दी गई। दरअसल बारूद के आविष्कार के बाद उसका इस्तेमाल युद्धों में ही होता था। पर चीनी कारीगरों ने उसे मनोरंजक बना दिया। अग्निवाण और रॉकेट चीन में खोजे गए। आतिशबाजी का अपना रसायन शास्त्र है। अलग-अलग

नवरात्र हिंदू धर्म ग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। भारत में नवरात्र का पर्व एक ऐसा पर्व है जो हमारी संस्कृति में महिलाओं के गरिमामय स्थान को दर्शाता है। वर्ष में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन

-गतांक से आगे… इत्युक्तवांतर्हितायां तु हृदये स्फुरितं तदा। नाम्नां सहस्रं दुर्गायाः पृच्छते मे यदुक्तवान् ।। 11।। मङ्गलानां मङ्गलं तद् दुर्गानाम सहस्रकम्। सर्वाभीष्टप्रदां पुंसां ब्रवीम्यखिलकामदम्।। 12।। दुर्गादेवी समाख्याता हिमवानृषिरुच्यते। छंदोनुष्टुप जपो देव्याः प्रीतये क्रियते सदा।।13।। ऋषिच्छंदांसि दृ अस्य श्रीदुर्गास्तोत्रमहामंत्रस्य। हिमवान् ऋषिः। अनुष्टुप छंदः। दुर्गाभगवती देवता। श्रीदुर्गाप्रसादसिद्धयर्थे जपे विनियोगः। श्रीभगवत्यै दुर्गायै नमः। देवीध्यानम ओउम हृं कालाभ्राभां कटाक्षैररिकुलभयदां

शूलिनी देवी को भगवान शिव की शक्ति माना जाता है। कहते हैं जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से सभी देवता और ऋषि-मुनि तंग हो गए थे, तो वे भगवान शिव और विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी थी। तो भगवान शिव और विष्णु के तेज से भगवती दुर्गा प्रकट हुई थी। जिससे