आस्था

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर देवी-देवताओं के कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हिमाचल के करसोग घाटी में स्थित है। हिमाचल प्रदेश की करसोग घाटी के ममेल गांव में स्थित ममलेश्वर महादेव मंदिर के बारे

सारा दिन पानी बरसता रहा। रात को भी वर्षा बंद नहीं हुई। बकरी चरने के लिए बाहर न जा सकी थी। न ही वह बच्चों के लिए कुछ ला पाई थी। बस, सब कुटिया में दुबके पड़े रहे। लेकिन आज की सुबह सुहानी थी। वर्षा थम गई थी। बकरी जागी, उसने अलसाहट भगाने के लिए

बढ़ते झगड़े को निपटाने के लिए श्री नारायण ने पुनः समुद्र से ही मोहिनी रूप में अंशावतार लिया। सभी देव और दानवों ने मोहिनी को रत्नरूपी देवी जानकर प्रणाम किया। तब मोहिनी ने कहा कि, ‘आप लोग झगड़ा क्यों कर रहे हैं?’ और जब कारण जाना तो उसने कहा कि, ‘आप लोगों द्वारा ही तय

श्रीश्री रवि शंकर भगवान ही तो अस्तित्व है। यह पूरी सृष्टि एक ऐसे तत्त्व से बनी है, जिसका नाम है प्रेम और यही तो ईश्वर है! आप ईश्वर से अलग नहीं हैं। ईश्वर के बाहर कुछ भी नहीं है, सब कुछ ईश्वर के अंदर ही स्थापित है। तो ये अच्छा, बुरा, सही, गलत और इन

करकलित कपालः कुंडली दंडपाणिस्तरुण तिमिर नील व्याल यज्ञोपवीती। ऋतु- समय सपर्या विघ्नविच्छेद हेतुर्जयति बटुकनाथः सिद्धिदः साधकानाम्।। ओउम अस्य श्रीबटुकभैरवस्तवराजस्य आपदुद्धारणस्य बृहदारण्यक ऋषिः अनुष्टुप्छंदः आपदुद्धारणबटुक भैरवो देवता अष्टबाहुं त्रिनयनमिति बीजम् कं शक्तिः शेषं कीलकं ममाअभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः। ओउम बृहदारण्यक ऋषये नमः (शिरसि)। ओउम अनुष्टुप्छंदसे नमः (मुखे)। ओउम अष्टबाहुबटुकभैरवदेवतायै नमः (हृदये)। ओउम अष्टबाहु त्रिनयनमिति बीजाय नमः (गुह्ये)…

ओशो कैसे जानें, मैं क्या होने को पैदा हुआ हूं। कैसे जानें कि मैं कुछ और होने में तो नहीं लगा हूं। कैसे पहचानें कि मैंने किसी परधर्म को तो नहीं पकड़ लिया है। पहचान हो तो सकती है पर पहचान के सूत्र सूक्ष्म होंगे। पहला सूत्र यह कि अगर आप जीवन में दुखी हैं,

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव यह कर्म का पक्ष नहीं है। कर्म का अर्थ होता है गतिविधि। इस वक्त यहां बैठे हुए हमारी गतिविधि चार आयामों में हो रही है  भौतिक, मानसिक, भावनात्मक और ऊर्जा के स्तर पर। आज आपके जागने के पल से इस पल तक इन चारों कर्मों में से कितनों के प्रति आप जागरूक

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… सुनने में आया कि वे एक स्पेशल ट्रेन से आएंगे, आने में अब और देरी नहीं है, अरे यह तो गाड़ी का शब्द सुनाई दे रहा है। क्रमशः आवाज के साथ गाड़ी ने प्लेटफार्म के भीतर प्रवेश किया। स्वामी जी डिब्बे में थे, वह जिस जगह आकर रुके, सौभाग्य से

जीवन एक वसंत/शहनाज हुसैन किस्त-61 सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी