आस्था

जैसे ही मंदराचल पर्वत को समुद्र में उतारा गया, वह अपने भार के बल से सीधा सागर की गहराइयों में डूब गया और अपना घमंड प्रदर्शित किया। तब असुरों में बाणासुर इतना शक्तिशाली था कि उसने मंदराचल पर्वत को अकेले ही अपनी एक हजार भुजाओं में उठा लिया और सागर से बाहर ले आया। इससे

श्रीश्री रवि शंकर योग का नियमित अभ्यास ऊर्जा के स्तर को उच्च रखता है और साथ ही व्यक्ति के उत्साह को भी बढ़ाता है। हम अपने स्पंदनों के माध्यम से बहुत कुछ प्रकट करते हैं। योग हमारे स्पंदनों को सकारात्मक और आकर्षक बनाता है। हम सब का यह उत्तरदायित्व है कि हम यह सुनिश्चित करें

शृणु देवि, प्रवक्ष्यामि भैरवस्य महात्मनः। आपदुद्धारक स्येह नामाष्टशत मुत्तमम्। सर्वपापहरं पुण्यं सर्वापद्वि निवारणम्।। सर्वकामार्थदं देवि, साधकानां सुखावहम्। सर्व मंगल मांगल्यं सर्वोपद्रव नाशनम्।। बृहदारण्यको नाम ऋषिर्देवोअथ भैरवः। नामाष्टशतकस्याअस्य छंदोअनुष्टप् प्रकीर्तितम्।। अष्टाबाहुं त्रिनयनमिति बीजम् समीरितम्। शक्तिः कं कीलकं शेषमिष्टसिद्धौ नियोजयेत्।। ओउम रुद्राय नमः (अंगुष्ठयोः)। ओउम शिखीमखाय नमः (तर्जन्योः)… -गतांक से आगे… मंत्र ओउम ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… अरोग्य और धन में रखा ही क्या है? धनी से धनी मनुष्य भी अपने धन के थोड़े से अंश का ही उपभोग कर सकता है। हम संसार की सभी चीजें प्राप्त नहीं कर सकते। जब हम उसे प्राप्त नहीं कर सकते तो क्यों हमें उसकी चिंता में डूबे रहना चाहिए?

जीवन एक वसंत/शहनाज हुसैन किस्त-60 सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी

कभी दौड़ के आने के बाद हमारी सांस फूलती है, तो कभी सीढि़यां चढ़ने या किसी काम को करने में हमारी सांस फूलने लगती है। पर किसी को भी अगर ये परेशानी है, तो ये इस बात का संकेत है कि आप एक खराब लाइफ स्टाइल फॉलो कर रहे हैं।  कोई भी व्यक्ति अगर एक

प्राचीन काल के ऋषियों-मुनियों ने स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए सूखे मेवों को उपयोगी बताया है। सूखे मेवे मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के तनावों को कम करते हैं और सर्दी के मौसम में ये और भी फायदेमंद होते हैं। इनका सही मात्रा में प्रयोग न केवल व्यक्ति की शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है,

गतांक से आगे…. भर्थरी की किस्मत में राजयोग था। वह अपने सारे साथियों को इकट्ठा करके खुद राजा बनता और राजाओं की तरह ही दरबार में रौब के साथ रहता। ‘‘ जैसी हो संगति, वैसी उपजे बुद्धि’’ वाली कहावत प्रसिद्ध है। एक दिन लकड़ी के घोड़े पर सवारी करते समय भर्थरी हो-हो करते हुए मुंह

साढ़े बारह वर्षों में कुल 84 दिन महावीर ने भोजन किया। वह भी एक बार दिन में। इनके द्वारा सहन किए गए कष्टों के कारण इंद्र ने ही इनका नाम वर्द्धमान महावीर रखा। इन्होंने अपने जप, तप तथा प्रभुकृपा से अनेक सिद्धियां प्राप्त कर लीं। उन्होंने 4400 विद्धानों को वेदों का यथार्थ अर्थ समझाया। चारों