आस्था

हे मैत्रेयी! यह आत्मा तीनों काल मेें सर्वभेद से रहित और अद्वितीय है। जैसे जगत की स्थिति के समय यह सर्वभेद रहित है उसी प्रकार जगत की उत्पत्ति से पूर्व भी थी। जैसे प्रज्वलित अग्नि से चिंगारी और  अंगार रूप कार्य की उत्पत्ति होती है, वैसे ही प्रपंच रूप कार्य की उत्पत्ति से पूर्व भेद

जिस राजनीतिज्ञ को अपने देश के समाज और इतिहास की अच्छे से जानकारी नहीं होगी तो स्वाभाविक रूप से ही वह समाज में प्रचलित धारणा को ही सच मानकर कार्य करेगा… भारतीय इतिहास के ऐसे कई रहस्य अभी उजागर होने बाकी हैं, जो इतिहास में नहीं पढ़ाए जाते या कि जिनके बारे में इतिहासकारों में

*एक कप पानी में थोड़ी चाय की पत्ती और अदरक,  नमक डालकर उबालें और इसमें आधा नींबू निचोड़ कर पीने से खांसी में आराम मिलता है। *दमा रोग से पीडि़त हैं, तो  रात में सोने से पहले भुने हुए चने खाकर एक कप गर्म दूध पीने से सांस की नली साफ  हो जाती है। दमा

अपने देश में फेफड़े के सिकुड़ जाने की समस्या बहुत ज्यादा है। अकसर आपने देखा होगा कि आपके परिवार में किसी एक सदस्य को फेफड़े का इन्फेक्शन हुआ था और उसकी छाती में ट्यूब डालकर पानी व मवाद निकाला गया था। इसके बावजूद फेफड़ा पूरी तरह से फूला नहीं। कई ऐेसे नवयुवक व नवयुवतियां होंगी,

* मूर्खाें से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे सिर्फ आपका समय नष्ट होगा * बड़ा आदमी वह कहलाता है, जिससे मिलने के बाद कोई खुद को छोटा न महसूस करे * धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए, उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए * दुख की अवस्था में मनुष्य

सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह भी माना जाता है और इस माह में सबसे पवित्र माना जाता है सोमवार का दिन। वैसे तो प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिए उपयुक्त माना जाता है, लेकिन सावन के सोमवार की अपनी महत्ता है। आइए जानते हैं श्रावण मास के सोमवार व्रत के

-गतांक से आगे… कमलाश्वतरो रामो रामायणप्रवर्तकः। द्यौदिवौ दिवसो दिव्यो भव्यो भाविभयापहः।। 79।। पार्वतीभाग्यसहितो भ्राता लक्ष्मीविलासवान। विलासी साहसी सर्वी गर्वी गर्वितलोचनः।। 80।। मुरारिर्लोकधर्मज्ञो जीवनो जीवनांतकः। यमो यमादिर्यमनो यामी यामविधायकः।। 81।। वसुली पांसुली पांसुपांडुरर्जुनवल्लभः। ललिताचंद्रिकामाली माली माला बुजाश्रयः।। 82।। अम्बुजाक्षो महायज्ञो दक्षश्चिंतामणिप्रभुः। मणिर्दिनमणिश्चैव केदारो बदरीश्रयः।। 83।। बदरीवनस प्रीतो व्यासः सत्यवतीसुतः। अमरारिनिहंता च सुधासिंधुर्विधूदयः।। 84।। चंद्रो रविः शिवः

जिला कांगड़ा के नागनी माता मंदिर कंडवाल में उत्तर भारत से श्रद्धालुओं की खूब रौनक उमड़ती है। वैसे तो यहां पर बारह महीने लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन-भादो के महीने में लगने वाले मेलों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में माथा टेकने आते हैं। इस बार यह मेले 21 जुलाई

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।  काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल उत्तर प्रदेश की