आस्था

समाधान — हे मैत्रेयी! एक आनंद स्वरूप आत्मा की छोड़कर पति, जाया, पुत्र आदि जितने सांसारिक पदार्थ हैं, वे स्वभाव से न तो प्रिय रूप हैं और न अप्रिय रूप, परंतु यह पदार्थ हमारे लिए सुख का साधन है, इस प्रकार की अनुकूलता जिस जीव को जिस पदार्थ के विषय में होती है, वही प्रिय

लंबे समय तक एक जगह बैठे रहना, गलत पोस्चर में बैठना, लगातार कम्प्यूटर पर काम करना कंधों में जकड़न का कारण बनता है, साथ ही उचित व्यायाम न करना और अनियमित जीवनशैली भी कंधों में दर्द और स्टिफनेस का कारण हो सकता है… आजकल ज्यादातर लोग सुबह से शाम की नौकरी करने के साथ अपना

श्रीराम शर्मा जो मनः स्थिति हमारे अंतःकरण में वर्तमान है, उसी ने हमारी रूपरेखा का निर्माण किया है। यदि मनुष्य की आंतरिक स्थिति तुच्छ एवं घृणित है, तो उसके पीछे दुःख तथा क्लेश इस प्रकार लगे हैं जैसे जीव के पीछे उसकी परछाई। मनुष्य अपने विचारों का फल है… मन का शरीर पर अटूट अविच्छिन्न एवं

भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक है नंदी। भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, शृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय भी शिव के गण हैं। माना जाता है कि प्राचीनकालीन किताब कामशास्त्र, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र और मोक्षशास्त्र में से कामशास्त्र के रचनाकार नंदी ही थे। बैल को महिष भी कहते हैं, जिसके चलते भगवान

गर्भेषु सुखलेशोऽपि भवद्दिनुमीयते। यदि यत्कथ्यतोमेव सर्व दुःखमय जगत्। तदेवमति दुःखायामास्पदेऽत्र भवार्णवे। भवतां कथ्यते सत्यं विष्णुरेकः परायणः। माजानीय वयं वाला देही देहेषु शाश्वतः। जरायोवनजन्माद्या धर्मा देहस्य नात्मनः। बालोऽहं तावदिच्छातो यतिष्ये श्रेयसे युवा। युवाहं वार्द्ध के प्राप्ते करिष्याम्यात्मनो हितम्। बद्धोऽहं मम कार्याणि समस्तानि न गोचरे। किं करिष्यामि मन्दात्मा समर्थेन न यत्तम। एव दुराशया क्षिप्तमानसः पुरुषः सदा। श्रेयसोऽभिमुख

स्वामी रामस्वरूप चारों वेदों में और यहां वेदों के आधार पर श्रीकृष्ण महाराज ने प्रकृति को अव्यक्त कहा है। अव्यक्त का अर्थ है जिसका स्वरूप व्यक्त नहीं किया जा सकता, जो आंखों से देखा नहीं जा सकता इत्यादि। जिस प्रकार परमात्मा और जीवात्मा अति सूक्ष्म है और ये दोनों तत्त्व भी अव्यक्त हैं उसी प्रकार

श्रीश्री रवि शंकर ध्यान वास्तव में विश्राम का समय है, इसलिए इसे अपनी सुविधा के अनुसार करें। ऐसा समय चुनना चाहिए जब एकांत हो और आपको किसी प्रकार की जल्दी नहीं हो। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय जब प्रकृति दिन और रात में परिवर्तित होती है, यह समय ध्यान का अभ्यास करने लिए सबसे आदर्श

बाबा हरदेव अहंकारी मनुष्य किसी से सलाह लेते समय डरता है घबराता है। यह अकसर अपनी उलझन स्वयं ही सुलझा लेना चाहता है। हालांकि ज्यों-ज्यों मनुष्य इन उलझनों को स्वयं सुलझाने की कोशिश करता है यह और उलझता जाता है। यहां तक कि यह भी स्वीकार करने में कि यह उलझा हुआ है। इसके अहंकार

प्राचीन काल में एक बड़े सदाचारी राजा थे जीमकेतु। उनके राज्य में सभी बिना किसी चिंता के निवास करते थे। पूरी प्रजा सुखी एवं संपन्न थी। जीमकेतु ने अपने सामर्थ्य से अतुल धन संचित किया। उसकी वीरता और संपन्नता के कारण आसपास के राज्य में उसका कोई शत्रु न रहा। समस्त जगत में उसकी प्रशंसा