आस्था

यह जंगली फल एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है। इसका फल अत्यधिक रस युक्त और पाचक होता है। काफल कई प्राकृतिक औषधीय गुणों से युक्त होता है। यह न सिर्फ  गर्मी से राहत देता है बल्कि सेहत के लिए भी लाभदायक होता है। सिर्फ  फल ही नहीं, अपितु इसके वृक्ष की

भद्रायु ने अपने पिता के शत्रुओं पर आक्रमण कर उन्हें मार भगाया और राज्य को अपने अधीन कर अपने पिता को बंदी गृह से मुक्त किया। इसका यश चारों ओर फैल गया। भद्रायु ने वर्षों तक सुखपूर्वक राज्य किया… -गतांक से आगे… मृत्युंजय मंत्र की महिमा दशार्ण देश (वर्तमान में मध्य प्रदेश) के राजा बज्रबाहु

श्रीराम शर्मा प्रतीक उपासना की पार्थिव पूजा के कितने ही कर्मकांडों का प्रचलन है। तीर्थयात्रा, देवदर्शन, स्तवन, पाठ, षोडशोपचार, परिक्रमा, अभिषेक शोभायात्रा, श्रद्धांजलि, रात्रि-जागरण, कीर्तन आदि अनेकों विधियां विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों में अपने-अपने ढंग से विनिर्मित और प्रचलित है। इससे आगे का अगला स्तर वह है जिसमें उपकरणों का प्रयोग न्यूनतम होता है और

टूथपेस्ट से दांत साफ  करने के बारे में तो हर कोई जानता है और हर कोई साफ  करता भी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि टूथपेस्ट का इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के कार्यों में भी कर सकते हैं। आइए जानें टूथपेस्ट के विभिन्न उपयोगों के बारे में। मुंहासे दूर भगाए अगर आप मुंहासों की

एक बार रावण ने एक सुंदर अप्सरा को देखा। वो अप्सरा नल कुबेर की प्रेयसी थी। रावण ने उस अप्सरा को अपनी राक्षसी प्रवृत्ति का शिकार बना डाला। नल कुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि वो किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुएगा तो उसके मस्तक के सात टुकड़े हो जाएंगे…

महेश योगी यह अर्जुन के अपरिहार्य गुण का प्रतीक है। गुणाकेश का अर्थ है निद्रा का राजा। वह जिसका निद्रा पर बुद्धि पर जड़ता पर आधिपत्य है। इस शब्द से अर्जुन के बुद्धि की एकाग्राता व्यक्त होती है। कभी विफल न होने वाले धनुर्धर के रूप में अर्जुन की बुद्धि सदैव स्फूर्त रहती है… श्रीमद्भागवद्

द्रुपद  उस समय ऐश्वर्य के मद में चूर थे। उन्होंने द्रोण से कहा, तुम मूढ़ हो, पुरानी लड़कपन की बातों को अब तक ढो रहे हो, सच तो यह है कि दरिद्र मनुष्य धनवान का, मूर्ख विद्वान का तथा कायर शूरवीर का मित्र हो ही नहीं सकता। द्रुपद  की बातों से अपमानित होकर द्रोणाचार्य वहां

श्रीश्री रविशंकर ज्यादा जरूरी क्या है वस्तुएं, इंद्रियां, मन या बुद्धि? इंद्रिय के साधन से इंद्रियां अधिक जरूरी हैं। टेलीविजन से तुम्हारी आंखें अधिक जरूरी हैं, संगीत या ध्वनि से तुम्हारे कान अधिक जरूरी हैं। स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों या आहार से जिह्वा अधिक जरूरी है। हमारी त्वचा, जो भी कुछ हम स्पर्श करते हैं, उससे

–गतांक से आगे… आवश्यकता है मन को संकीर्ण सीमाओं के बंधनों से मुक्त करने की। ऐसा करने पर पानी में तेल की बूंद की तरह प्रत्येक व्यक्ति की अनुभव-संवेदना का क्षेत्र दूर तक फैल जाता है। सामान्यतः अपने शरीर और मन की दीवारों से टकरा-टकराकर ही व्यष्टि-चेतना की तरंगें लौटती रहती हैं तथा सीमित क्षेत्र