पाठकों के पत्र

हमें अंग्रेजी बोलने में शर्म इसलिए आनी चाहिए क्योंकि जिन अंग्रेजों ने हमारे देश पर वर्षों राज कर देश को आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया, हम हिंदुस्तानियों पर ज़ुल्म ढाहे, आज आजाद देश में हम उनकी भाषा को मान-सम्मान देते हैं, इसे प्रयोग करने में गर्व महसूस करते हैं। आज हम भारतीयों में से बहुत से लोग अपनी हिंदी भाषा को बोलने में शर्म महसूस करते हैं, जबकि हमारे देश को आजाद करवाने वाले देशभक्तों और महापुरुषों ने हिंदी बोलने में अपनी शान समझी। उन्होंने इसके

अमेरिका के विदेश विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि भारत में बढ़ते अपराध व विशेषकर बलात्कार की घटनाओं को देखते हुए अमेरिका की महिलाएं अकेले यात्रा न करें। वास्तव में देखा जाए तो यह खबर समूचे भारत के लिए शर्मसार करने के साथ चिंताजनक है। अमेरिका की नजर में भारत अपराधों व बलात्कारियों का देश है। अपराधी व बलात्कारी को कानून व सजा का कोई खौफ नहीं है।

12 जून 2025 को लंदन के एक पोलो मैदान में जब उद्योगपति संजय कपूर घोड़े पर सवार थे, किसी ने नहीं सोचा था कि प्रकृति का एक नन्हा जीव, मधुमक्खी, उनका जीवन लील लेगी। न गोली चली, न विस्फोट हुआ, न किसी ने जानबूझ कर हमला किया। बस एक मधुमक्खी उड़ती हुई उनके मुंह में घुस गई, जिसने या तो उनके गले में डंक मारा या श्वास नली में अवरोध पैदा कर दिया।

योग के महत्व को समझते हुए 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने को हरी झंडी दी थी। योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलना भारत के लिए गर्व की बात है।

ज्ञानार्जन या ज्ञानोपलब्धि के लिए स्वाध्याय और पुस्तकों का सम्बन्ध अन्न और जल तथा सुई और धागे की तरह एक-दूसरे का पोषक एवं पूरक है। स्वाध्याय के साथ पुस्तकों और पुस्तकालयों का महत्त्व और उनकी उपयोगिता पर भी चिंतन करना अपेक्षित है। देव-पूजन में जितना महत्त्व देवी-देवों का है, उतना ही महत्त्व देवालयों का है। यदि देव मंदिर अथवा देवालय नहीं होंगे तो देव-विग्रह की प्रतिष्ठा कहां होगी। हम सभी जानते हैं कि पुस्तक स्वयं में ज्ञान नहीं है। वह निर्जीव कागजों का एक संपुट है, परंतु ज्ञान का यह एक

पहाड़ी इलाकों में बरसात कभी-कभी पर्यटकों की जान पर भारी पड़ जाती है। देश में बरसात का मौसम अपने पूरे यौवन पर आ रहा है। ज्यादा बारिश होने से पहाडिय़ों की मिट्टी कमजोर पड़ जाती है जिस कारण पहाडिय़ों के खिसकने की संभावना ज्यादा प्रबल हो जाती है। सडक़ों का भी ऐसा ही हाल बेहाल हो जाता है। हिमाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे पहाड़ी राज्यों में ऐसी स्थिति होती है।

वो जो कहते हैं, ‘ऊपर वाले से सीधा संपर्क है’, उनका नेटवर्क अचानक उस समय क्यों डाउन हो जाता है जब कोई भयंकर आपदा, ट्रेन हादसा, प्लेन क्रैश या भूकंप आता है। क्या उनकी ज्योतिषीय सेटिंग में कोई सर्वर एरर आ जाता है या फिर ‘अदृश्य शक्ति’ भी क्योशन बोर्ड लगाकर छुट्टी पर चली जाती है? यह प्रश्न अब मजाक नहीं, बल्कि गंभीर सामाजिक विमर्श का विषय बन चुका है।

देश मे तेज गर्मी से जनजीवन प्रभावित होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। रविवार रात से देश में कई राज्यो में मानसून की एंट्री से लोगों को सुकून मिला है। भारी बारिश से लोगों को गर्मी से राहत तो मिली है, लेकिन कुछ स्थानों पर नुकसान भी हुआ है। उत्तरप्रदेश, बिहार और राजस्थान समेत कई राज्यो में मानसून की एंट्री हो चुकी है।

भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए बाहरी राज्यों से पर्यटक पहाड़ों का रुख कर रहे हैं। हिमाचल के पर्यटन स्थलों में पर्यटकों का जमावड़ा लगा हुआ है। पहाड़ों पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। वीकेंड पर ये संख्या ओर अधिक बढ़ जाती है। इसके साथ ही सडक़ों पर ट्रैफिक जाम की समस्या से भी आम लोगों की दिक्कतें बढ़ जाती हंै। वाहनों की लंबी कतारों के कारण चंद मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़ रहा है।