उत्तर भारत के कुछ राज्यों में आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने, खाने-खिलाने का रिवाज और परंपरा है। हमारा खानपान ही हमारे स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। अच्छा खानपान अच्छा स्वास्थ्य देता है और गलत खानपान हमें बीमार करता है। जब भी मौसम बदलता है तब हमें विशेषज्ञ डॉक्टर खानपान पर और ज्यादा ध्यान देने की बात करते हैं।
कांगड़ा में इन दिनों एक तो त्योहार के चलते और दूसरा नगरपालिका ग्राउंड में मेला लगने के कारण शहर में टै्रफिक जाम का लगना आम हो गया है। कांगड़ा का मेन रोड हो या मेन बाजार इन पर अब घंटों जाम लग रहा है। लोगों को पैदल चलने में भी दिक्कत हो रही है। इससे जहां रोज सफर करने वाले स्थानीय लोग परेशान होकर रह गए हैं, वहीं घूमने-फिरने के लिए हिमाचल आने वाले पर्यटक भी इस समस्या से दो-चार हो रहे हैं।
अपने ही लिए वोट-मत पाने के लिए बहुत सारे राजनीतिक दलों की अपनी अनैतिक मजबूरी हो सकती है। राज्य व देश स्तर पर बहुत सारे नेता लोग ये प्रचार-प्रसार करते रहते हैं कि अमुक क्षेत्र में इतने मुस्लिम, दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़ा वर्ग और कई प्रकार के मतदाता हैं। देश को उचित दिशा देने और सही मार्गदर्शन करने के बजाय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले बहुत सारे टीवी चैनल तथा पत्र-पत्रिकाएं भी राजनीतिक लोगों की हां में हां मिलाते हुए इसी प्रकार की अवांछित सूचनाएं देने के लिए हर
‘दिव्य हिमाचल’ में यह प्रश्न पूछा गया है कि क्या आप निजी अस्पताल में इलाज करवाना बेहतर समझते हैं? इस सवाल के जवाब में मैं कहना चाहता हूं कि प्रदेश में जो स्वास्थ्य संस्थान खोले गए हैं, वे नाम के ही हैं, उनमें पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में मरीजों के पास निजी अस्पतालों में उपचार करवाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। मन से दुखी और तन से दुखी इनसान निजी अस्पतालों में तो क्या, अपने दुखी शरीर के इलाज के लिए कहीं भी जा सकता है। पूरे देश में गांवों तक स्वास्थ्य विभाग का सबसे बुरा हाल है।
मानव मेटान्यूमोवायरस एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों जैसे कमजोर आबादी के लिए। पहली बार 2001 में पहचाना गया, मानव मेटान्यूमोवायरस दुनिया भर में महत्वपूर्ण श्वसन संक्रमण का कारण बनता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर, विशेष रूप से कम आय वाले देशों में होती है।
देश में आतंकवाद से भी खतरनाक समस्या नक्सलवाद की है जो कि देश के कुछ राज्यों में आफत बनी हुई है। नक्सलवाद के होने के क्या कारण है, इस पर कहा जा सकता है कि शासन और प्रशासन में फैला भ्रष्टाचार भी इसका कारण हो सकता है। जब किसी को दो वक्त की रोटी नहीं मिलेगी, मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलेंगी और जब भ्रष्टाचार के सताए लोगों को इंसाफ नहीं मिलेगा तो वो गलत रास्ता भी अपना सकते हैं।
दंतेवाड़ा के नारायणपुर में चार नक्सली पुलिस की मुठभेड़ में ढेर हो गए। हमारा एक जवान भी शहीद हो गया। मुठभेड़ का सिलसिला थम नहीं रहा है। नक्सलियों को पुलिस लोहा मनवा रही है। नल्सलवाद समाज में ठुकराए गए युवाओं का समूह बनता जा रहा है। शिक्षा के नाम पर जीरो ऐसे युवा नक्सलियों के साथ
दरअसल देश को चीनी चला रही है या चीनी की वजह से देश चल रहा है। चीनी पर किसी को कभी संदेह नहीं हुआ, वरना देश की बिक्री में रखी हर वस्तु पर शक की सूई घूमती है। खास तौर पर खेत से उगी सब्जियों पर हमेशा, लेकिन चीनी महारानी है। बारीक हो या मोटी, कोई कुछ नहीं कहता। अक्सर मूली बचती-बचाती बिकती है ताकि कोई सीधे ही न पूछ पाए कि ‘किस खेत की हो’। वैसे खेत किसान का ही छोटा सिद्ध हो रहा है, फिर भी वह इसी को हर बार उखाड़ता है ताकि देश की बड़ी घोषणाओं को उगा सके। दूसरी ओर उसी के खेत में किसान को ही उगाने की कोशिशें हो रही हैं। अब उसका दिल है कि वह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान या किसी भी राज्य से दिल्ली निकल कर देखे कि राजधानी से उसका खेत कैसा नजर आता है। दिल्ली की संस्कृति में खेत है
जैसा कि चिकित्सिक, वैज्ञानिक और अन्य संबंधित विशेषज्ञ बता रहे हैं कि चीन के नए हानिकारक वायरस से बचने के लिए हमें अभी से ही शत-प्रतिशत तैयार रहना चाहिए। इस वायस से बचने के लिए लगभग उन सभी तरीकों को अपनाना है, जो कोरोना वायरस से बचने और इलाज करने के लिए अपनाए गए थे।