पाठकों के पत्र

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) दहशत होती है देखकर कि सरकारी राजस्व से मोटी पगार पाने वाला एचआरटीसी का सोलन में तैनात क्षेत्रीय प्रबंधक भी नशे की तस्करी में संलिप्त हो सकता है। इससे करीब साढ़े चार किलो चिट्टा बरामद हुआ है, जिसकी बाजार में करोड़ों की कीमत बताई जा रही है। अगर अधिकारी

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) दिव्य झाड़ू थामे, फिर पालमपुर आया, जागरूकता का जज्बा, बच्चों-बूढ़ों का भाया। कूड़ा-कचरा घर-घर होता, इसको ठीक संभालें, इधर-उधर न फेंकें, कूड़ा डिब्बे में ही डालें। हौले-हौले बच्चों की अब, सोच बदलती जाती, अब अम्मा भी गलियों में कूड़ा फेंकने नहीं जाती। मां लक्ष्मी का वास वहीं है,

( जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र ) आतंकवादी, नक्सली सेना और पुलिस बलों पर आक्रमण कर रहे हैं। नागरिकों को परेशान कर भारत में अशांति फैलाने की वे लगातार कोशिश कर रहे हैं। थोड़े-थोड़े दिनों के अंतराल पर ये हिंसक ताकतें किसी न किसी हमले को अंजाम दे ही जाती हैं। देश की जनता और सैन्य

( स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा ) मोदी सरकार ने देश में पनप चुकी वीआईपी संस्कृति पर प्रहार करते हुए लाल बत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह फैसला सामान्य जन द्वारा खूब सराहा जा रहा था, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश में कोई सुधार होने के साथ-साथ ही उसकी काट

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) किसने बच्चों और युवाओं को फुसलाया? आतंकी, खलनायक, इनका है यह व्यूह रचाया। हिंसा से सुलझेगा मसला, पड़ोसी ने सिखलाया, बेचा ईमान चौक पर, जूता जब चांदी का खाया। जीजा है पड़ोस में, सोलह दूनी आठ पढ़ाया, भीख मांगते पाक से, भजन सदा उनका गाया। है मद नस-नस में,

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा ) वर्तमान समय आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक व सांगठनिक लिहाज से बेहद अशुभ चला हुआ है। एमसीडी चुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी में उथल-पुथल का माहौल है और आने वाले समय में पार्टी में किसी अनहोनी की आहट सुनाई दे रही है। पार्टी के

(अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर (हरियाणा) ) गत दिनों तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा जी की तवांग यात्रा पर चीन ने अपनी बदनीयत के अनुसार खूब हो-हल्ला किया और भारत को तरह-तरह से धमकी दी। इसके जरिए उसने यह जताने की कोशिश की कि अरुणाचल प्रदेश पर भारत के आधिपत्य को वह स्वीकार नहीं

( कृष्ण संधु, कुल्लू ) क्या ऐसा कोई नियम बना है, जिसमें कृषि भूमि भवन बनाने के लिए धड़ाधड़ बेची जा रही है।  किसान ऊंची कीमत के लालच में अपनी बहुमूल्य जमीनें बेचने में लगे हुए हैं, जिसके कारण प्रकृति की गोद में बसे हिमाचल में भी कंकरीट के कांटे उग आए हैं। इस प्रक्रिया

(डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर) यूं तो श्रम दिवस के नाम पर एक दिन का सवैतनिक अवकाश और कहने को कार्यशालाएं, गोष्ठियों व अन्य आयोजनों की औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं, पर आज असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर कोई गंभीर नहीं दिखाई देता। आज मजदूर आंदोलन लगभग दम तोड़ता जा रहा