पाठकों के पत्र

(सुरेश कुमार, योल) चाहा तो यह था कि हिमाचल अपने पर्यटन के लिए पहचाना जाता, अपने शक्तिपीठों के लिए जाना जाता, पर आज हिमाचल की पहचान जाम और ब्रिटिश टाइम के बूढ़े पुलों की वजह से है। पर्यटन सीजन में जब हम पर्यटकों का कारवां हिमाचल की ओर बढ़ते देखते हैं, तो लगता है कि

( सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल, कांगड़ा ) किसी बुराई से मुक्ति पाना है, तो जन आंदोलन एक कारगर तरीका है, लेकिन शराबखोरी की बुराई का अंत मेरे हिसाब से असंभव है। शराब का सेवन प्राचीन काल से दुनिया में होता आया है। आज भी शराब पीने वालों की संख्या करोड़ों में है। गरीब

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) झाड़ू बिखरी हाथ से, लुटा फूल को प्यार, दिल्ली ने चूमे कदम, फक्कड़ को उपहार। नीरज की मुस्कान है, सबका है सरताज, कुछ दल को पेचिश हुई, कुछ को उठती खाज। इंद्रप्रस्थ का था किया, कचरा और कबाड़, नित नवीन पंगे लिए, फेंक सभ्यता भाड़। राजनीति कचरा भरी,

( वर्षा शर्मा, पालमपुर ) दिल्ली से अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल के साथ जितनी जल्दी जन भावनाएं जुड़ी थीं, उतनी ही तेजी से उनके प्रति जनता का मोहभंग होता भी दिख रहा है। इसका हालिया उदाहरण दिल्ली एमसीडी चुनावों का है। बेशक ये एमसीडी के ही चुनाव थे, लेकिन इसमें 

( सुनीता पटियाल, अणु, हमीरपुर ) छत्तीसगढ़ के सुकमा में भीषण नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों ने अपनी शहादत दी और सात जवान घायल हो गए। सीआरपीएफ के एक घायल जवान का कहना है कि हमला उस समय हुआ, जब सभी जवान खाना खाने बैठे थे। अब सवाल उठना लाजिमी है कि कंपनी

( सुरेश कुमार, योल ) इस साल हिमाचल विधानसभा चुनाव होने हैं, तो जाहिर सी बात है कि प्रदेश राजनीति से तपेगा। हर कोई इन चुनावों की चाशनी से कुछ न कुछ मिठास लूटने की जुगाड़ में रहेगा। नेता वोट बटोरने के जुगाड़ में रहेंगे, तो आमजन भी इस दौरान अपना कुछ न कुछ फायदा

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) नित-नित करते कत्ल वे, नित-नित होती पीड़, वीर यहां दस-बीस थे, चली निगलने भीड़। निंदा हल्की या कड़ी, क्या कुछ होगा फर्क, घिसे-पिटे हथियार से, होता बेड़ा गर्क। निंदा हम करते रहें, वे सिर काटें रोज, कहां गई वह आधुनिक हथियारों को खोज। भाषणबाजी अब नहीं, कस कर

( सेहना गुलेरिया, लंज, फतेहपुर ) हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 12वीं कक्षा के वार्षिक परिणामों की घोषणा कर दी है। इस बार के परीक्षा परिणाम कई मायनों में आश्चर्यजनक हैं। इस वर्ष मैरिट सूची में सरकारी स्कूलों का दबदबा रहा, वहीं बेटियों ने अपनी काबिलीयत को एक बार फिर से बखूबी साबित किया

( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर ) छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला में नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद हो गए। सुकमा नाम जितना सुनने को अच्छा लगता है, उतना ही गहरा घाव देश को दे गया। ऐसा नहीं है कि ऐसा वहां पहली बार हुआ। यहां से कई