प्रतिबिम्ब

डॉ. धर्मवीर भारती आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वह साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी रहे। डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ हिंदी साहित्य के इतिहास में सदाबहार माना जाता है। दूसरे उपन्यास ‘सूरज का सातवां घोड़ा’

पुस्तक समीक्षा कहानी संग्रह : काश! पंडोरी न होती (2016) पृष्ठ संख्या : 112 मूल्य : रुपए 250/- लेखिका : मृदुला श्रीवास्तव प्रकाशक : अंतिका प्रकाशन, सी-56/यूजीएफ-ढ्ढङ्क, शालीमार गार्डन, एक्सटेंशन-ढ्ढढ्ढ, गाजियाबाद-201005 (उत्तर प्रदेश) समकालीन हिंदी कहानी अपनी कथावस्तु के कारण अधिक चर्चा में है। आज यशपाल की यह धारणा कि कहानी केवल मनोरंजन की वस्तु

कोई सत्ता नहीं एक सुबह रोज दस्तक देती है एक सूरज अकसर आवाज देता रहता है साथ चलने का आग्रह करता रहता है उन बस्तियों, मोहल्लों, गांवों तक जहां प्रकाश की किरणें कभी सीधी रेखा में नहीं चलती रस्मों-रिवाजों की घिसी-पिटी चक्कियां बारीक नहीं खासा मोटा पीसती हैं हत्या, बलात्कार, हिंसा की घटना दिलों को

राम नाम की सेल में… दुःशासन और द्रौपदी, मिलकर खेलें खेल। चीरहरण के खेल में, कान्हा भेजे जेल।। बतरस कभी ना घोलिए, अवसर बीतो जाए। ऐसी भाषा मौन की, हिय की कथा सुनाए।। शून्य में महाशून्य है, काल में महाकाल। सांची उसकी जोत है, सच्चा पुरख अकाल।। ज्ञान जग को बांट रहा, ़खुद को रहा

भारतेंदु हरिश्चंद्र (जन्म 9 सितंबर 1850 – मृत्यु 6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। भारतेंदु हिंदी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। जिस समय भारतेंदु का अविर्भाव हुआ, देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। अंग्रेजी शासन में अंग्रेजी चरमोत्कर्ष पर थी। शासन तंत्र से संबंधित संपूर्ण कार्य अंग्रेजी

लम्हें कितने नाजुक होते हैं लम्हें बीत जाते हैं अतीत हो जाते हैं, मगर जुड़ी रहती हैं खट्टी-मिट्ठी यादें हर लम्हा बेखुदी लम्हें हसीन होते हैं जो याद आने पर थपथपाते हैं प्यार से मेरी जागती रात को भी देते हैं जो सहारा प्यारा-प्यारा मेरे एकांत को जिंदगी में लम्हें ही तो हैं जो देते

डॉ. धर्मवीर भारती (जन्म – 25 दिसंबर, 1926, मृत्यु – 4 सितंबर, 1997) आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वह साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक भी रहे। डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ हिंदी साहित्य के इतिहास में

फिराक गोरखपुरी (वास्तविक नाम रघुपति सहाय, जन्म 28 अगस्त, 1896, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु 3 मार्च, 1982, दिल्ली) भारत के प्रसिद्धि प्राप्त और उर्दू के माने हुए शायर थे। फिराक उनका तख़ल्लुस था। उन्हें उर्दू कविता को बोलियों से जोड़ कर उसमें नई लोच और रंगत पैदा करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने अपने

सैरागैम कंपनी के सौजन्य से कांगड़ा शहर में एक बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन सैरागैम कंपनी का कांगड़ा में एक वर्ष पूरा होने पर किया गया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रभात शर्मा ने की और मुख्यातिथि के रूप में डा. गौतम व्यथित तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. युगल डोगरा ने अपनी सहभागिता