प्रतिबिम्ब

लाहौलां की कथा लोक कथाओं, लोकगीत, लोक संगीत, विश्वासों और आस्थाओं की यह सबसे बड़ी पूंजी भी है और ताकत भी कि इनकी जड़ें लोकमानस में गहरे से जुड़ी होती हैं। यह सामान्य लोक ही इनका संरक्षक भी है। ‘लाहौलां की कथा’ छपने पर शायद लेखिका सपना ठाकुर ने भी नहीं सोचा होगा कि इसकी

साहित्यिक लेखा-जोखा 2016 आज पहाड़ों का सीना छलनी हो रहा है तो इस थीम पर आधारित कविताएं वाहवाही लूट रही हैं । 70-80 के दशक में हिमाचल के दूरदराज के क्षेत्रों के जीवन पर लिखी कहानियां देश भर में धूम मचाए हुए थीं । अब मोबाइल और इंटरनेट की कहानियां आएंगी या फिर नोटबंदी के

बेटियां बेटियों के हिस्से में क्यों… आती हैं मजबूरियां… चलते चलते राह में क्यों आती है दुश्वारियां पग-पग पर जिम्मेदारियों, के बोझ तले दबे बचपन, यौवन और बुढ़ापा जीवन सारा दो नावों में सवार हिचकोले खाती बेटियां निभा जाती हैं रिश्तों को जैसे कांटों में फूलों की तरह… सागर में लहरों की तरह… हंसती, मुस्कराती,

जिला भाषा, कला एवं संस्कृति अधिकारी कांगड़ा के कार्यालय में क्रिसमस के अवसर पर कवियों की एक विशिष्ट महफिल सजी। इसमें जिला भर के विभिन्न स्थानों से आए हुए लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक कवि-कवयित्रियों ने बढ़-चढ़कर कर भाग लिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रतिष्ठित साहित्यकार डा. पीयूष गुलेरी ने की तथा इसके संचालन की