संपादकीय

हिमाचल के सांस्कृतिक आंगन पर होली के रंग खिलते हैं, तो सुजानपुर का चौगान भी सराबोर हो जाता है। जिस तरह समारोह का तिलक लगाकर सुजानपुर नहा रहा होता है, वैसे ही पालमपुर का होली महोत्सव भी शृंगार कर लेता है। सांस्कृतिक पर्यटन के पड़ाव की तरह होली के ये दोनों मेले औपचारिकता के तहत

घूस और दलाली के एक आरोपित मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति को हिरासत में लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांडिंग का केस दर्ज किया है। जो प्राथमिकी मई, 2017 में दर्ज की गई थी, अब किसी निष्कर्ष पर पहुंचती लग रही है। लेकिन जैसे ही कार्ति

बात भले ही टोपी की हो, लेकिन हिमाचल में राजनीति ने अपने स्वार्थ के लिए पता नहीं किस-किस के सिर मुंडवा दिए। हिमाचली टोपी का यथार्थ सामाजिक व आर्थिक निरूपण है, लेकिन इसे अखाड़े में पहुंचा कर महज राजनीतिक रंग दिया गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचली टोपी को राजनीतिक सिर से हटाकर जिस सम्मानित

प्रख्यात उपन्यासकार एवं लेखक वीएस नॉयपॉल ने कहा था कि भारत भी एक अनूठा देश है। वहां राष्ट्रवाद को मजबूत करने वाले इतिहास के बजाय कमजोर करने वाले इतिहास को पढ़ाया जाता है। वहां विदेशियों का लिखा इतिहास प्रामाणिक माना जाता है। वहां देश पर हुकूमत करने वालों का इतिहास ज्यादा प्रामाणिक है। भारत अपना

खेत में उगते घास के साथ पैदावर की लड़ाई हो सकती है, तो स्कूली इमारतों में भविष्य का युद्ध क्यों नहीं। नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट में सरकारी स्कूल की छत अगर उड़ रही है, तो ज्ञान के आगे हिमाचल की तस्वीर का खोखलापन जाहिर है। स्कूली शिक्षा के स्तंभ जिस तरह हिल रहे हैं,

हमारे एक मित्र हाल ही में हरियाणा सरकार में आबकारी एवं कराधान उपायुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने 1988-89 में अपना करियर एक बैंक अधिकारी के तौर पर शुरू किया था। चूंकि आजकल बैंकों का पैसा डकारने और विदेश भाग जाने की खबरें खूब चर्चा में हैं, लिहाजा उन्होंने अपने अनुभव हमसे साझा

औचित्य और अर्जी तक धारा-118 का जिक्र भी हिमाचली स्वाभिमान की पनाह सरीखा हो चला है, इसलिए ज्यों ही जयराम सरकार ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के पेंच से इसे हटाने का इशारा भर करती है, प्रदेश को बचाने की नारेबाजी शुरू हो जाती है। कुछ लोग इसे हिमाचली अस्मिता से उसी तरह जोड़ना चाहते हैं,

एक पूरे दौर की ‘महिला सुपरस्टार’, ‘महिला अमिताभ’ और महानायिका श्रीदेवी को ‘अलविदा’ कहने या लिखने में घबराहट महसूस होती है। एक जीवंत कलाकार, एक जीवंत किरदार और असंख्य चेहरों को जीने वाले शख्स को ‘अलविदा’ कैसे कहा जा सकता है? बेशक श्रीदेवी के आकस्मिक, असामयिक निधन से पूरा देश स्तब्ध और हैरान है। मौत

‘हां, मैं अफसरों से लड़ता रहता हूं।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक जनसभा में ये शब्द कहे हैं। शुक्र है कि उन्होंने यह नहीं कहा कि हां, हम उन अफसरों को ठोंकते रहेंगे, जो हमारा काम नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं कहा, लेकिन उनकी बगल में मौजूद उन्हीं के विधायक नरेश बालियान