बीते कल हमने प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो की चर्चा की थी और उनकी ‘रॉक स्टार’ भूमिका का विश्लेषण किया था। अब उसी प्रदर्शन का राजनीतिक और चुनावी पक्ष गौरतलब है। दरअसल उत्तर प्रदेश में अंतिम चरण तक पहुंचते-पहुंचते चुनाव ‘मोदी बनाम मोदी विरोधी’ बन गया है। विकास के तमाम दावे और मुद्दे गौण हो
2014 में गंगा मैया ने बुलाया था। इस बार चुनावों ने, उनकी मजबूरी ने, जीत की गारंटी ने बुलाया था, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी इस तरह सड़क पर, अपनी भीड़ और समर्थकों के बीच थे मानो किसी ‘रॉक स्टार’ की विजय-बारात निकल रही हो! चार और पांच मार्च को वाराणसी बिलकुल ‘मोदीमय’ लगी मानो जनादेश की
राजनीति हमेशा अपने चरम तक पहुंचने की शिद्दत है और कमोबेश यही प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश की चुनावी सन्निकटता में हो रहा है। एक सरीखे लफ्जों की राजनीति में फर्क केवल यही कि सत्ता और विपक्ष के बीच धरती की हकीकत क्या है। इसलिए भाजपा जो अर्जित करना चाहती है, उसके अक्स में राज्यपाल का अभिभाषण
इसकी-उसकी के चक्कर में हिमाचल का भाग्यविधाता कौन? दो दिनों की बहस ने हिमाचल विधानसभा के सदन को गरमाहट दी, तो क्या इस तरह श्रेय का बंटवारा संभव हो जाएगा। सिंचाई सुविधाओं की पैमाइश में राजनीतिक हद इस कद्र नापी गई कि शाहनहर, सिद्धार्था व फिन्ना सिंह जैसी परियोजनाएं भी बंट जाएंगी। हमसे पूछें, तो
जाटों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण क्यों दिया जाए? क्या वह अछूत, सामाजिक तौर पर पिछड़ी और परंपराओं से दलित-वंचित जमात है? हमारे संविधान निर्माताओं ने आरक्षण की व्यवस्था मात्र 10 साल के लिए की थी। देश की आजादी के 70 साल पूरे होने को हैं, लेकिन आरक्षण आज भी जारी है। राजनीति
परीक्षा की भट्ठी पर चढ़ेगा आज से पढ़ाई का उन्माद और औचित्य की तलाशी में छात्र समुदाय को देनी पड़ेगी गवाही। हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाएं तय करेंगी कि प्रदेश की प्रतिभा किस ओर जा रही है। क्या इसी मुहाने पर शिक्षा मुकम्मल हो जाएगी या परिणाम की शक्ल में सपने बिखर जाएंगे।
राजद अध्यक्ष लालू यादव ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया है, खबरों के जरिए आप पाठकों तक वह जानकारी होगी। कमोबेश इस संदर्भ में मुझ जैसे लेखक को पक्ष मत बनाएं। हम तो बीते एक लंबे अंतराल से लिखते आए हैं कि आपस में गालियां देना, पुतले फूंकना, तस्वीरों पर जूते
यूं तो हिमाचल की राजधानी के साथ न्यू शिमला की परिकल्पना पूरी हो चुकी है, लेकिन यहां न शहरीकरण का मकसद और न ही मंजिल पूरी हुई। ऐसे में जाठिया देवी में स्मार्ट हिल टाउन की स्थापना में सिंगापुर का निवेश, एक बड़ी आशा जगाता है। हिमाचल में शहरीकरण की चुनौतियां जिस तरह लगातर नजरअंदाज
बीते साल की तीसरी तिमाही की विकास-दर के आंकड़े सामने हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सात फीसदी विकास-दर का अनुमान है। पूरे वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान जीडीपी की बढ़ोतरी दर 7.1 फीसदी आंकी गई है, जो बीते वर्ष 2015-16 के दौरान 7.9 फीसदी अनुमानित थी। गिरावट या कमी बेहद चौंकाने वाली या नकारात्मक